केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 14 सितंबर 2025 को गांधीनगर में आयोजित पांचवें राजभाषा सम्मेलन में हिंदी की महत्ता पर जोर दिया। हिंदी दिवस के अवसर पर उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी किसी भी भारतीय भाषा के साथ प्रतिस्पर्धा की भाषा नहीं, बल्कि अन्य भाषाओं की मित्र होनी चाहिए।
सम्मेलन में अमित शाह ने कहा कि हिंदी भारत की सांस्कृतिक एकता और विविधता को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। वे मानते हैं कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि देश की आत्मा का प्रतीक है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हिंदी के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं का संरक्षण भी अत्यंत आवश्यक है।
सम्मेलन में हुई चर्चाएँ और भागीदारी
इस वर्ष के राजभाषा सम्मेलन में:
- सरकार के राजभाषा विभाग के अधिकारी
- भाषा विशेषज्ञ
- विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि
शामिल हुए। मंच पर हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाने और अन्य भाषाओं के साथ उसके सहयोग को बढ़ाने की रणनीतियों पर गंभीर चर्चा हुई।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि यह सम्मेलन राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। साथ ही, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए नीतिगत उपाय किए जाएंगे।
प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों के विचार
विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने:
- हिंदी के साथ अपनी-अपनी भाषाओं को भी प्रोत्साहित करने की मांग की।
- सभी भारतीय भाषाओं के समान विकास और संरक्षण पर जोर दिया।
विपक्षी दलों ने अमित शाह के बयान पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, जबकि राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि हिंदी को प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोग की भावना से देखना चाहिए, जिससे राष्ट्रीय एकता और मजबूत होगी।
समाज के विभिन्न वर्गों ने भी हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने के दृष्टिकोण का स्वागत किया। भाषा विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि स्कूलों और विश्वविद्यालयों में भाषाई विविधता बनाए रखने के लिए बेहतर नीतियाँ बनानी चाहिए।
भविष्य के कदम और उम्मीदें
इस सम्मेलन का तत्काल प्रभाव भाषा नीति में सुधार की दिशा में सरकार के कदमों को तेज करना माना जा रहा है। आगामी महीनों में राजभाषा के कार्यान्वयन में सकारात्मक बदलाव होने की उम्मीद है।
अगली बैठक आगामी तीन महीनों में आयोजित की जाएगी, जिसमें हिंदी और भारतीय भाषाओं के बीच संवाद और सहयोग को और विस्तारित करने पर विचार किया जाएगा।
यह पहल भारतीय भाषाई समृद्धि को बढ़ावा देने में एक अहम कदम साबित होगी। ताज़ा अपडेट्स के लिए Questiqa Bharat के साथ जुड़े रहिए।
ज़्यादा कहानियां
उत्तराखंड में हिंदी दिवस पर दीर्घकालीन साहित्य सेवा सम्मान समारोह आयोजित
भारत में हिंदी दिवस परंपरा और संस्कृति का उत्सव
अमित शाह ने हिंदी को भारतीय भाषाओं का मित्र बताया, प्रतिस्पर्धा नहीं