केंद्र सरकार ने कपड़ा उद्योग के कच्चे माल पर शुल्क में महत्वपूर्ण कटौती की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य कपड़ा प्राइस चेन की लागत कम करना और निर्माताओं व उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करना है। इस निर्णय से धागा, कपड़ा, परिधान और सिले हुए उत्पादों की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है, जिससे कपड़ा उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती मिलेगी।
घटना क्या है?
सरकार ने कपड़ा उद्योग के कच्चे माल की लागत कम करने के लिए विशेष छूट और टैक्स में कटौती की नीति जारी की है। यह निर्णय आर्थिक दबाव और वैश्विक कच्चे माल की कीमतों के बदलाव के मद्देनज़र लिया गया है ताकि अंततः उपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर उत्पाद उपलब्ध कराए जा सकें।
कौन-कौन जुड़े?
- केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय
- वित्त मंत्रालय
- कपड़ा विनिर्माता एसोसिएशन्स
- व्यापार मंडल
- राज्य सरकारें
- विभिन्न सामाजिक संगठन
ये सभी इस पहल में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और इसका सकारात्मक समर्थन कर रहे हैं।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
वस्त्र मंत्रालय के एक प्रेस रिलीज़ के अनुसार, धागा और कच्चे कपड़े पर आयात शुल्क में 10 प्रतिशत की कटौती की गई है। साथ ही, घरेलू उत्पादों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में भी छूट प्रदान की गई है। सरकार ने यह कदम भारतीय टेक्सटाइल सेक्टर को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने तथा निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- कपड़ा प्राइस चेन की लागत में 8 से 12 प्रतिशत तक कमी आएगी।
- उत्पादकों की लाभप्रदता में सुधार होगा।
- प्रति वर्ष लगभग 5 प्रतिशत की उत्पादन वृद्धि सम्भव होगी।
तत्काल प्रभाव
इस नीति के लागू होते ही कई बड़े कपड़ा कारखानों ने उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई है। बाजार में कपड़े की कीमतों में धीरे-धीरे कमी आ रही है, जिससे उपभोक्ताओं को कम दामों में गुणवत्ता युक्त कपड़ा उत्पाद मिलने की संभावना बढ़ गई है।
प्रतिक्रियाएँ
सरकार ने इस पहल को व्यापार और उत्पादन के विकास की दिशा में सकारात्मक कदम बताया है। विपक्ष ने कुछ सुधारों की मांग की है ताकि लाभ सीधे छोटे उत्पादकों और कारीगरों तक पहुँचे। उद्योग ने इस पहल का स्वागत किया है और रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद जताई है। विशेषज्ञों का मानना है कि शुल्क में यह कटौती उत्पादन लागत कम कर राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी।
आगे क्या?
- वस्त्र मंत्रालय तीन महीने में नीति के प्रभाव का मूल्यांकन करेगा।
- आगामी बजट सत्र में सुधार प्रस्तुत कर सकते हैं।
- सप्लाई चेन में स्थिरता लाने के लिए नई नीतियों पर कार्य प्रारंभ होगा।
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