केंद्र सरकार ने कपड़ा उद्योग के लिए नई नीति लागू की है, जिसका मुख्य उद्देश्य कपड़ा प्राइस चेन में कच्चे माल की लागत को कम करना है। यह नीति भारत के कपड़ा विनिर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
नई नीति की मुख्य बातें
- आयात शुल्क में कटौती: कच्चे माल जैसे धागा, कपड़ा आदि पर आयात शुल्क घटाया गया है, जिससे लागत कम हुई है।
- त्वरित कच्चे माल की उपलब्धता: उत्पादन बढ़ाने और लागत नियंत्रण के लिए यह सुनिश्चित किया गया है कि विनिर्माताओं को जल्दी से कच्चा माल मिले।
- लागत में कमी: सरकार के अनुसार कच्चे माल की लागत में 8% तक की कमी आई है, जिससे कपड़ा उद्योग को सालाना लगभग 5000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
- निर्यात वृद्धि: इस नीति से कपड़ा निर्यात में 5% तक का इजाफा होने की संभावना है।
नीति के लाभ और प्रभाव
इस नीति के लागू होते ही कपड़ा कम्पनियों ने उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई है। उपभोक्ताओं को वस्त्र और परिधान सस्ते दामों पर उपलब्ध होंगे, जिससे घरेलू बाजार में मांग बढ़ेगी। इसके साथ ही, रोजगार के अवसरों में वृद्धि और बाजार में स्थिरता आएगी।
सरकार और संबंधित संस्थान
- यह नीति केंद्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के निर्देशन में लागू की गई है।
- कपड़ा मंत्रालय और घरेलू उद्योग समूहों ने इसका समर्थन किया है।
- राज्य सरकारों ने भी सहयोग जताया है।
प्रतिक्रियाएँ और आगे की योजना
उद्योग संगठन और व्यापार मंडल इस पहल को सकारात्मक मानते हैं। विपक्ष ने सुधार की मांग की है ताकि छोटे और मझौले उद्योग भी नीति का लाभ उठा सकें। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति कपड़ा उद्योग की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में सहायता करेगी।
सरकार ने घोषणा की है कि इस नीति की छह माह के बाद समीक्षा की जाएगी तथा आवश्यकता अनुसार बदलाव किए जाएंगे। कपड़ा मंत्रालय स्मार्ट टेक्नोलॉजी उपकरण भी लाएगा, जिससे उत्पादन प्रक्रिया और अधिक कुशल होगी।
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