भारत सरकार ने कपड़ा उद्योग के कच्चे माल की लागत कम करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिससे पूरे राष्ट्रीय कपड़ा प्राइस चेन को लाभ होगा। इस नीति का उद्देश्य विनिर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों को राहत प्रदान कर उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना है।
घटना क्या है?
कच्चे माल की लागत में वृद्धि को देखते हुए, सरकार ने कच्चे माल पर आयात शुल्क में छूट देने और आंतरिक उत्पादों के लिए सहायता राशि प्रदान करने की योजना बनाई है। इससे कपड़ा प्राइस चेन की लागत घटेगी और उपभोक्ताओं को कम कीमतों पर उत्पाद उपलब्ध होंगे।
कौन-कौन जुड़े?
- केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय
- आयात एवं व्यापार विभाग
- विभिन्न कपड़ा विनिर्माण संघ
- राज्य सरकारें
- विनिर्माता संगठन और व्यापार परिसंघ
आधिकारिक बयान
सरकार के प्रेस रिलीज में कहा गया है, “कच्चे माल की लागत में कमी के लिए यह एक रणनीतिक फैसला है, जो कपड़ा उद्योग में विकास को गति देगा और आम जनता को लाभ पहुंचाएगा।” यह जानकारी प्रेस सूचना ब्यूरो ने 21 जून 2024 को जारी की है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- पिछले तीन वर्षों में कच्चे माल की कीमतों में लगभग 15% वृद्धि हुई।
- इस नई नीति से लागत में कम से कम 7% की कमी आने की उम्मीद है।
- धागे और कपड़े की कीमतों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
तत्काल प्रभाव
यह निर्णय लागू होते ही कपड़ा उद्योग में उत्पादन बढ़ा है और बाजार में आपूर्ति बेहतर हुई है। उपभोक्ताओं को उचित दामों पर कपड़ों की बेहतर उपलब्धता हुई है। साथ ही, उद्योग में रोजगार के अवसरों में सुधार की उम्मीद है।
प्रतिक्रियाएँ
- उद्योग विशेषज्ञों ने इस कदम की सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।
- भारतीय वस्त्र निर्यात संघ का मानना है कि यह घरेलू उत्पादन और निर्यात दोनों को बढ़ावा देगा।
- विपक्षी दलों ने नीति के प्रभाव का स्वागत किया पर बेहतर कार्यान्वयन की आवश्यकता बताई।
- उपभोक्ता संगठन इसे आम जनता के हित में बताया।
आगे क्या?
वस्त्र मंत्रालय ने योजना पर निगरानी बढ़ाने और सुधार के लिए सुझाव आमंत्रित करने का आश्वासन दिया है। अगले तीन महीनों में नीति का व्यापक आकलन कर आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। यह कदम कपड़ा उद्योग के दीर्घकालिक विकास के लिए निर्णायक सिद्ध होगा।
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