केंद्र सरकार ने हाल ही में कपड़ा उद्योग के कच्चे माल पर नई छूट प्रदान की है, जिससे पूरे कपड़ा प्राइस चेन में कच्चे माल की लागत कम होने की उम्मीद है। यह कदम उद्योग के विनिर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिए राहत का अवसर लेकर आया है।
घटना क्या है?
सरकार ने कपड़ा उद्योग के मुख्य कच्चे माल जैसे धागा, कपड़ा, परिधान और सिले हुए उत्पाद, जिनके उत्पादन श्रृंखला में कई पर्तें शामिल हैं, पर करों में छूट की घोषणा की। इस नीति का उद्देश्य कच्चे माल की लागत को कम करके उत्पादन प्रक्रिया को सुगम बनाना है। यह कदम सरकार ने आर्थिक मंदी और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए लिया है।
कौन-कौन जुड़े?
यह नीति भारत के वस्त्र मंत्रालय द्वारा अधिसूचित की गई है। साथ ही भारत में कपड़ा उद्योग के प्रमुख उत्पादक संघ और राज्य सरकारों ने इस पहल का स्वागत किया है। भारत सरकार की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि इस योजना से छोटे और मध्यम कपड़ा निर्माताओं को भी व्यापक लाभ होगा।
आधिकारिक बयान / दस्तावेज़
वस्त्र मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कपड़ा प्राइस चेन में शामिल विभिन्न तत्वों पर कच्चे माल की लागत से जुड़ी कराधान संबंधी बाधाओं को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसके अलावा, बजट में विभागीय पूंजी निवेश को बढ़ाकर ₹5000 करोड़ की धनराशि आवंटित की गई है, ताकि टेक्सटाइल सेक्टर में उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सके।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- कपड़ा उद्योग भारत की जीडीपी में लगभग 2 प्रतिशत योगदान करता है।
- यह उद्योग 45 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
- कच्चे माल की लागत में औसतन 10 से 15 प्रतिशत की कटौती का अनुमान है।
तत्काल प्रभाव
इस नीति से कपड़ा निर्माताओं को उत्पादन लागत कम करने में मदद मिलेगी, जिससे उत्पादों की कीमतों में स्थिरता आएगी। उपभोक्ताओं के लिए सस्ते और गुणवत्तापूर्ण कपड़ों की उपलब्धता बढ़ेगी। साथ ही, घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपड़ा उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
प्रतिक्रियाएँ
कपड़ा उद्योग विशेषज्ञों ने इस पहल को सकारात्मक बताया है और उम्मीद जताई है कि इससे भारत के कपड़ा निर्यात में भी वृद्धि होगी। विपक्षी दलों ने कुछ हद तक नीति की सराहना की, हालांकि कुछ ने इसके क्रियान्वयन की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। उद्योग के संगठनों ने नीति से जुड़े तकनीकी मार्गदर्शन और कार्यान्वयन में तेजी की मांग की है।
आगे क्या?
- सरकार ने अगले छह माह के भीतर नीति के प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए एक समिति बनाई है।
- अगले संसद सत्र में कपड़ा उद्योग से जुड़े अन्य सुधार प्रस्ताव पेश किए जाने की संभावना है।
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