केंद्र सरकार ने 1 फरवरी 2024 को नई दिल्ली में 2024-25 के लिए आम बजट प्रस्तुत किया, जो देश की आर्थिक नीतियों और विकास लक्ष्यों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इस बजट में वित्तमंत्री ने वित्तीय स्थिरता, विकसित तकनीक, और सामाजिक कल्याण योजना हेतु विशेष प्रवधान किए। आम बजट की घोषणा संसद में वित्त मंत्री ने की, जिसमें अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय प्रबंधन और नई योजनाओं का विवरण शामिल था।
घटना क्या है?
2024-25 का आम बजट 1 फरवरी को संसद के मानसून सत्र के दौरान पारित किया गया। सरकार ने आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने, रोजगार सृजन हेतु निवेश बढ़ाने और डिजिटल इंडिया पहल को मजबूत करने का लक्ष्य रखा है। बजट में कुल व्यय 45 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8 प्रतिशत अधिक है।
कौन-कौन जुड़े?
बजट प्रस्तुति में शामिल प्रमुख पक्ष हैं:
- वित्त मंत्रालय
- संसद के दोनों सदन
- रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI)
- विभिन्न उद्योग संगठन
- आर्थिक विशेषज्ञ
साथ ही, विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्रीय संस्थानों ने इस बजट को ध्यान से समझने और लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सरकार ने बजट भाषण के साथ एक विस्तृत बजट दस्तावेज भी जारी किया है, जिसमें निम्नलिखित विषय शामिल हैं:
- कराधान
- पूंजीगत व्यय
- सामाजिक सेक्टर हेतु आवंटन
- नई नीति पहलाएँ
वित्त मंत्री ने कहा कि यह बजट किसानों, युवा रोजगार, और स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए समर्पित है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- कर संग्रह में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान
- कृषि क्षेत्र के लिए 15 प्रतिशत अधिक वित्तीय सहायता सुनिश्चित
- ग्रामीण विकास के लिए 25,000 करोड़ रुपये आबंटित
- रोजगार सृजन के लिए अतिरिक्त 5,000 करोड़ रुपये का प्रावधान
- सार्वजनिक निवेश को 30 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना
तत्काल प्रभाव
- शेयर बाज़ार में सकारात्मक प्रतिक्रिया
- बैंकिंग और कृषि क्षेत्र में निवेश वृद्धि
- आम नागरिकों को कर राहत और सब्सिडी में सुधार का लाभ
- रोजगार के नए अवसर सृजित होने की उम्मीद
प्रतिक्रियाएँ
सरकार ने बजट को देश की विकास यात्रा में एक नई उपलब्धि बताया। वहीं विपक्ष ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में और अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। उद्योगपतियों ने निवेश के अवसरों की प्रशंसा की और अर्थशास्त्रियों ने वित्तीय प्रबंधन की सराहना करते हुए सतत सुधार की जरूरत पर बल दिया।
आगे क्या?
- अगले तीन महीनों में बजट के क्रियान्वयन की समीक्षा और आवश्यकतानुसार संशोधन
- विभिन्न मंत्रालयों को योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश
- संसद में बजट संबंधित प्रस्तावों पर आगे बहस
- आर्थिक प्रदर्शन और बजट प्रभाव पर माहौल एवं आंकड़ों का विश्लेषण
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