कोप्पल: पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. एचएम सदानंद ने भारत को विश्व के शीर्ष प्लास्टिक कचरा उत्पादक देशों में से एक बताते हुए चिंता प्रकट की है। उन्होंने बताया कि भारत में प्लास्टिक कचरे का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य को गंभीर खतरे उत्पन्न हो रहे हैं।
डॉ. सदानंद ने बताया कि प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग और अपर्याप्त प्रबंधन के कारण निम्नलिखित प्रभाव नजर आ रहे हैं:
- नदियाँ, जमीन और समुद्री पारिस्थितिकी प्रभावित हो रही है।
- प्लास्टिक कचरे के जलने से हानिकारक गैसें निकलती हैं, जो वायु प्रदूषण को बढ़ाती हैं।
उन्होंने सरकार और जनता दोनों से प्लास्टिक कचरे के प्रभावी प्रबंधन और पुनर्चक्रण पर जोर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने पुनः उपयोग योग्य और पर्यावरण अनुकूल विकल्प अपनाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. सदानंद ने कहा कि प्लास्टिक कचरा नियंत्रण के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। प्रारंभिक बचाव और जागरूकता से पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
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