कोलकाता: भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती रणनीतिक मौजूदगी को लेकर संसद समिति ने गहरी चिंता जताई है। इस क्षेत्र में चीन की सैन्य और आर्थिक गतिविधियों के विस्तार से भारत सहित अन्य देशों की सुरक्षा और सामरिक संतुलन पर असर पड़ने की संभावना है।
पार्लीमेंट की संबंधित समिति ने चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भारत सरकार से सक्रिय कदम उठाने का सुझाव दिया है। समिति ने कहा है कि क्षेत्रीय साझेदारों के साथ मिलकर रणनीतिक सहयोग को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे।
चीन की रणनीतिक मौजूदगी के मुख्य कारण
- सैन्य आधारों का विस्तार और समुद्री मार्गों पर नियंत्रण।
- व्यापार और निवेश के माध्यम से क्षेत्रीय दबाव बढ़ाना।
- प्रौद्योगिकी और संचार नेटवर्क में प्रभुत्व स्थापित करना।
पार्टी समिति के सुझाव
- भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की मौजूदगी को बढ़ाना।
- क्षेत्रीय देशों के साथ रणनीतिक और कूटनीतिक संबंध मजबूत करना।
- सैन्य क्षमताओं को उन्नत करना और आधुनिक बनाना।
- बहुपक्षीय मंचों पर अधिक सक्रिय भूमिका निभाना।
निष्कर्षतः, चीन की तेजी से बढ़ती रणनीतिक मौजूदगी भारत-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक चुनौती है। संसद समिति की यह चिंता और सुझाव सरकार को इस दिशा में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं।
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