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गणेश चतुर्थी 2025 का पर्व बप्पा के आगमन और उनकी पूजा का महत्वपूर्ण त्योहार है जो सम्पूर्ण भारत में बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान गणेश के जन्मदिवस के रूप में जाना जाता है, जो विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता हैं।
गणेश चतुर्थी का सांस्कृतिक महत्व
गणेश चतुर्थी का त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार समाज में एकता, प्रेम और नई शुरुआत का संदेश लेकर आता है। इस दिन लोग अपने घरों और सार्वजनिक स्थानों पर गणेशजी की मूर्ति विराजित करते हैं और दस दिनों तक विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं।
त्योहार की मुख्य प्रवृत्तियाँ
- पूजा एवं आरती: हर सुबह और शाम गणेशजी की पूजा की जाती है जिसमें मंत्रोच्चारण और आरती शामिल होती हैं।
- प्रसाद वितरण: मोदक, लड्डू और अन्य मिठाइयों का वितरण किया जाता है, जो गणेशजी के प्रिय माने जाते हैं।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: नाट्य प्रस्तुतियाँ, संगीत और नृत्य जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
- विघ्नहर्ता का विसर्जन: दसवें दिन गणेशजी की मूर्ति को नदी या समुद्र में विसर्जित किया जाता है, जो इस पर्व का समापन होता है।
समाज में गणेश चतुर्थी की भूमिका
यह पर्व लोगों को सामूहिक रूप से एक साथ लाने का कार्य करता है। इसके दौरान समाज के सभी वर्ग मिलकर पारस्परिक सद्भाव और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करते हैं। युवा और वृद्ध, सभी मिलकर त्योहार की खुशियों में सम्मिलित होते हैं।
नवीन परम्पराएँ और पर्यावरण संरक्षण
आजकल पर्यावरण संरक्षण के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों का उपयोग बढ़ रहा है, जो पारंपरिक प्लास्टर ऑफ पेरिस की जगह प्राकृतिक मिट्टी और रंगों से बनाई जाती हैं। इससे जल प्रदूषण की संभावना कम होती है।
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