Article –
गणेश चतुर्थी, जिसे बप्पा के आगमन के रूप में भी जाना जाता है, भारत में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सांस्कृतिक उत्सव है। यह त्योहार भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो शुरूआत, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने के देवता हैं। 2025 में, यह उत्सव विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाएगा, जिसमें भक्तों द्वारा विभिन्न प्रकार के अनमोल उद्धरणों का प्रयोग किया जाता है जो बप्पा के प्रति उनकी भक्ति और श्रद्धा को दर्शाते हैं।
गणेश चतुर्थी 2025 के प्रमुख उद्धरण
- “विघ्नहर्ता बप्पा मोरया।” – यह सबसे प्रसिद्ध उद्घोष है जो भक्तों के मन में भगवान गणेश की उपस्थिति और उनकी शक्ति को प्रदर्शित करता है।
- “संकट मोचन नाम तेरा।” – यह उद्धरण बताता है कि भगवान गणेश सभी संकटों को मिटाने वाले हैं।
- “विद्या और बुद्धि के देवता।” – गणेश जी को ज्ञान और बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है।
- “श्री गणेश चरण स्पर्श कर, सुख शांति मिलती है।” – यह विश्वास व्यक्त करता है कि गणेश जी के चरण छूने से जीवन में सुख और शांति आती है।
सांस्कृतिक महत्त्व
गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक उत्सव ही नहीं, बल्कि यह सामाजिक एकता और संस्कृति के संरक्षण का प्रतीक भी है। इस दिन विभिन्न समुदाय मिलकर गणपति प्रतिष्ठापन करते हैं, जो जीवन में एक नई शुरुआत का संदेश देता है। यह उत्सव पारंपरिक संगीत, नृत्य, और भजन-कीर्तन के माध्यम से खुशी और उत्साह की भावना को बढ़ावा देता है।
उत्सव के दौरान, लोग अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर गणेश मूर्तियों की प्रतिमाएं स्थापित करते हैं और कई दिनों तक पूजन अर्चना करते हैं। अंत में, गणेश विसर्जन के समय एकता, समृद्धि और खुशहाली की कामना की जाती है। यह माहौल सभी वर्गों को एक साथ लाता है और सामाजिक सौहार्द को प्रगाढ़ करता है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी 2025 न केवल भगवान गणेश के आगमन का उत्सव है, बल्कि यह जीवन में नई शुरुआत, ज्ञान, और सफलताओं का प्रतीक भी है। बप्पा के अनमोल उद्धरण और भक्तिपूर्ण कार्यक्रम इसे और भी अधिक विशेष बनाते हैं। यह त्योहार हमारी सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करता है और सभी को एकता तथा प्रेम के संदेश से जोड़ता है।
ज़्यादा कहानियां
कांग्रेस की सीट बांट और मतदाता mobilisation पर नया संकट: एक विश्लेषण
कांग्रेस में सीट बंटवारे और वोटर जुटान की उलझन: विपक्षी रणनीति पर गंभीर सवाल