नई दिल्ली: प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने जलवायु कार्रवाई में सहानुभूति को शामिल करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में केवल तकनीकी और आर्थिक उपाय ही नहीं बल्कि मानवीय दृष्टिकोण और सहानुभूति भी आवश्यक है। यह दृष्टिकोण सभी के लिए न्यायसंगत और प्रभावी समाधान सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
सत्यार्थी ने बताया कि जलवायु संकट का असर सबसे अधिक गरीब और वंचित वर्गों पर पड़ता है, इसलिए उन्हें सुनना और उनकी चुनौतियों को समझना बहुत जरूरी है। उन्होंने जलवायु नीति निर्माताओं से आग्रह किया कि वे सामाजिक न्याय के तत्वों को अपनी रणनीतियों में शामिल करें ताकि हर वर्ग के लोग इस वैश्विक समस्या से निपटने में सहभागी बन सकें।
इस संदर्भ में सत्यार्थी ने निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर दिया:
- सहानुभूति और समझ: लोगों की व्यक्तिगत और सामाजिक मुश्किलों को समझना ताकि प्रभावी समाधान निकाल सकें।
- निष्पक्षता सुनिश्चित करना: जलवायु नीतियाँ सभी सामाजिक वर्गों को समान लाभ पहुंचाएं।
- सामाजिक न्याय: गरीब और कमजोर समुदायों के लिए विशेष सहायता और संरक्षण।
उनका मानना है कि जब तक सामाजिक दृष्टिकोण को जलवायु कार्रवाई का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा, तब तक सतत और समावेशी प्रगति संभव नहीं है।
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