नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने पुनः यह स्पष्ट किया कि विकलांग अधिकारों के संरक्षण में न्यायपालिका की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। न्यायालय ने कहा कि विकलांग लोगों को समाज में समान अवसर उपलब्ध कराना और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना न्यायपालिका की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में कहा कि सरकार और अन्य संबंधित संस्थाओं को विकलांग व्यक्तियों के लिए उचित कानून और नीतियाँ बनानी चाहिए, ताकि वे समाज के मुख्यधारा में पूरी तरह से सम्मिलित हो सकें।
न्यायपालिका की भूमिका इस विषय में निम्नलिखित बिंदुओं में संक्षेपित की जा सकती है:
- विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करना।
- विधान और नीतियों का अनुपालन सुनिश्चित करना।
- विकलांगों के समाज में समान अवसर सुनिश्चित करना।
- विकलांगों के खिलाफ भेदभाव को रोकना।
इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने सभी न्यायालयों को निर्देश दिया है कि वे विकलांग अधिकारों के मामलों में गंभीरता से सोचें और न्याय प्रदान करें। साथ ही, न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विकलांग व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों और उन्हें न्याय तक समान पहुंच मिले।
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