नई दिल्ली में हाल ही में अमेरिका के साथ ट्रेड वार्ताओं के असफल होने के बाद, भारत ने स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने की अपनी रणनीति को और मजबूत करने का फैसला किया है। यह कदम मुख्यतः विदेशी निर्भरता को कम करने और घरेलू उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
स्वदेशी आंदोलन को दोगुना करने की योजना
सरकार की योजना के तहत, निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा:
- घरेलू उद्योगों को प्राथमिकता देना ताकि आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़े।
- स्वदेशी कच्चे माल और तकनीक का उपयोग सभी प्रमुख उद्योगों में बढ़ाना।
- विदेशी माल पर कड़े टैक्स और नियम लागू करके स्थानीय उत्पादकों की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा।
- स्थानीय रोजगार सृजन के अवसरों का सृजन करना।
आर्थिक और वैश्विक प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न केवल भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक बाजार में उसकी स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा। इससे भारत की आर्थिक स्वायत्तता और प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी, जो लंबी अवधि में स्थिर और समृद्ध विकास के लिए आवश्यक है।
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