नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश भूपेन आर. गवई ने हाल ही में महत्वपूर्ण बात कही है कि समानता और प्रतिनिधित्व आपस में प्रतिस्पर्धा करने वाले विचार नहीं हैं, बल्कि ये दोनों मिलकर भारत के संवैधानिक सपनों को आगे बढ़ाने वाली शक्तियां हैं। न्यायाधीश गवई ने जोर दिया कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे में सभी नागरिकों को समान अवसर और उचित प्रतिनिधित्व देना निहायत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि समानता का मतलब है सभी का समान अधिकार प्राप्त होना और प्रतिनिधित्व का मतलब है सामाजिक विविधताओं को संसद और अन्य संस्थाओं में उचित स्थान देना। ये दोनों तत्व मिलकर देश को एक मजबूत और समृद्ध लोकतंत्र की ओर ले जाते हैं।
CJI गवई ने समाज में सभी वर्गों को न्याय सुनिश्चित करने पर भी बल दिया और कहा कि संवैधानिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए हमें न केवल कानूनी मानदंडों का पालन करना है, बल्कि सामाजिक न्याय को भी सुदृढ़ बनाना होगा। यही भाव भारत को एक समावेशी राष्ट्र बनने में मदद करेगा।
नई दिल्ली से खबर।
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