सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2024 में नए कृषि कानूनों को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जो भारत के कृषि क्षेत्र की नीतियों के लिए निर्णायक साबित होगा। इस फैसले का उद्देश्य किसानों, सरकार और कृषि बाजारों को दीर्घकालिक दिशा प्रदान करना है।
घटना क्या है?
भारत सरकार ने 2020 में तीन कृषि कानून लागू किए थे जिनका लक्ष्य कृषि बाजारों को स्वतंत्र बनाना और किसानों को अधिक विकल्प प्रदान करना था। बावजूद इसके, इन कानूनों के खिलाफ कई किसान संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए गए। विवाद के समाधान के लिए सरकार ने मामलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहाँ फरवरी 2024 में अंतिम निर्णय आया।
कौन-कौन जुड़े?
- केंद्र सरकार
- विविध किसान संगठन
- राज्य सरकारें
- मंडी बोर्ड
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने सभी शिकायतों और दलीलों का गंभीरता से परीक्षण किया।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि कृषि कानूनों के कुछ प्रावधान किसानों के हितों के खिलाफ थे और उन्हें संशोधित करने की आवश्यकता है। सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि वे किसानों के हितों की रक्षा करें। इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और किसानों के लिए सहायक नियम बनाने का आश्वासन दिया।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- 2020 में कृषि सुधारों के लिए सरकार ने 1900 करोड़ रुपये आवंटित किए।
- विरोध प्रदर्शनों में लगभग 20,000 किसान शामिल हुए।
- 700 से अधिक प्रदर्शनकारी घायल हुए।
- अदालत ने 100 से अधिक दलीलों पर न्याय प्रदान किया।
तत्काल प्रभाव
इस फैसले से कृषि बाजार में अस्थिरता समाप्त होने की उम्मीद है। किसानों को नए बाजार विकल्पों के लिए अधिक सुरक्षा मिलेगी और कृषि उत्पादों की कीमतों में स्थिरता आएगी, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा।
प्रतिक्रियाएँ
- केंद्र सरकार ने फैसले को सकारात्मक विकास बताया।
- विपक्ष ने कहा कि यह किसानों की पूरी आवाज को संबोधित नहीं करता।
- कृषि विशेषज्ञों ने इसे संतुलन बनाने का प्रयास बताया।
- किसान नेता मिश्रित प्रतिक्रियाएँ व्यक्त करते हुए सुधार की मांग दोहराते रहे।
आगे क्या?
सरकार ने अदालत के निर्देशानुसार संशोधित कानून संसद में प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है। किसान संगठन तीन महीनों में पुनर्विचार बैठकें करेंगे और बातचीत जारी रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की पुनः समीक्षा के लिए छह महीने बाद फिर सुनवाई निर्धारित की है।
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