नई दिल्ली में 15 अप्रैल 2024 को संसद के मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार ने देश की नई पर्यावरण नीति प्रस्तुत की, जो भारत के सतत विकास लक्ष्यों और ग्लासगो में की गई प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है। इस नीति में प्रदूषण नियंत्रण, नवीकरणीय ऊर्जा, जल संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं।
घटना क्या है?
सरकार ने संसद में राष्ट्रीय पर्यावरण नीति 2024 का मसौदा रखा, जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करना और आर्थिक विकास के साथ पर्यावरण संतुलन बनाए रखना है। नीति में औद्योगिक, कृषि एवं शहरी प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सख्त प्रावधान शामिल हैं।
कौन-कौन जुड़े?
यह नीति पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा तैयार की गई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में मंजूर हुई। नीति निर्माण में केंद्रीय और राज्य सरकारें, उद्योग प्रतिनिधि, वैज्ञानिक और नागरिक संगठन शामिल थे। इसके अलावा संसद के दोनों सदनों में पर्यावरण विशेषज्ञों से राय मांगी गई।
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि इस नीति के लिए 5000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है, जिसमें से 40% धन नवीकरणीय ऊर्जा केंद्रों और प्रदूषण नियंत्रण प्रकल्पों में खर्च होगा। रेलवे और सड़क परिवहन विभागों को भी हरित तकनीक अपनाने का निर्देश दिया गया है। नीति का मसौदा संसद की आधिकारिक वेबसाइट पर जनता के लिए उपलब्ध कराया गया है।
पुष्टि-शुदा आंकड़े
- पिछले पांच वर्षों में औद्योगिक प्रदूषण में 15% की वृद्धि हुई है।
- नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में 25% की वृद्धि दर्ज की गई है।
- इस नीति के लागू होने से अगले दस वर्षों में कार्बन उत्सर्जन में 30% तक कमी का लक्ष्य रखा गया है।
तत्काल प्रभाव
पर्यावरण नीति लागू होने के बाद उद्योगों में हरित तकनीक अपनाने की गति तेज हुई है। जनता में प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। पुलिस, नगर निगम और वन विभागों को सतर्कता बढ़ाने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया।
- विपक्ष ने नीति को कागजी घोषणा करार दिया।
- विशेषज्ञों ने इसके सफल कार्यान्वयन को बड़ी चुनौती माना।
- उद्योग संघों ने सहयोग की बात कही, पर लागत को लेकर चिंता जताई।
- पर्यावरणविदों ने नीति की सराहना की, लेकिन शीघ्रता से क्रियान्वयन की आवश्यकता बताई।
- जनता की प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर मिश्रित रही।
आगे क्या?
सरकार ने अगले तीन महीने के भीतर नीति के विस्तृत क्रियान्वयन योजना प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है। नियमावली और निगरानी प्रणाली पर काम जारी है। स्थानीय स्तर पर विभिन्न राज्यों में नीति के अनुरूप कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे। वर्ष 2025 में प्रभाव का आकलन करने के लिए समिति भी गठित की जाएगी।
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