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भारत की सुरक्षा नीति में हाल के वर्षों में कई नई चुनौतियाँ सामने आई हैं, जो देश की स्थिरता और सामरिक हितों पर गहरा प्रभाव डाल रही हैं। इन चुनौतियों का विश्लेषण करना आवश्यक है ताकि प्रभावी सुरक्षा रणनीतियाँ विकसित की जा सकें।
सामरिक और तकनीकी चुनौतियाँ
भारत को प्रमुख रूप से निम्नलिखित सामरिक और तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
- साइबर सुरक्षा: डिजिटल युग में साइबर हमले और डेटा चोरी खतरा बढ़ा है।
- सीमा विवाद: विशेषकर चीन तथा पाकिस्तान के साथ चल रहे सीमा विवाद शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर समस्या हैं।
- आधुनिक हथियारों का विकास: पड़ोसी देशों द्वारा नए और उन्नत हथियारों का विकास क्षेत्रीय सुरक्षा को चुनौती देता है।
आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ
आंतरिक स्तर पर भारत को विभिन्न प्रकार की सुरक्षा जोखिमों से भी निपटना पड़ता है, जिनमें शामिल हैं:
- आतंकवाद और विद्रोह: देश के कुछ हिस्सों में सक्रिय आतंकवादी समूह देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
- सांप्रदायिक तनाव: धार्मिक और सामाजिक मतभेदों के कारण तनाव बढ़ता है, जो आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।
- नक्सलवाद: विशेषकर पूर्व और मध्य भारत में नक्सली गतिविधियाँ सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती हैं।
वैश्विक और भू-राजनीतिक प्रभाव
भारत की सुरक्षा नीति पर वैश्विक शक्तियों के नेतृत्व, आर्थिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों का भी गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके तहत:
- अमेरिका, रूस और चीन के साथ द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय संबंधों का संतुलन बनाए रखना।
- आतंकवाद, साइबर अपराध एवं हथियारों की गैरकानूनी तस्करी के खिलाफ वैश्विक सहयोग।
- क्षेत्रीय सुरक्षा संगठन जैसे SAARC, QUAD आदि में सक्रिय भागीदारी।
निष्कर्ष
भारत की सुरक्षा नीति को नई चुनौतियों के अनुरूप लगातार अपडेट करना और रणनीतिक बदलाव लाना अनिवार्य है। इसमें तकनीकी सुधार, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आंतरिक सुरक्षा मजबूत करने जैसे पहलू प्रमुख हैं। इस प्रकार, एक समग्र और दूरदर्शी सुरक्षा नीति भारत के दीर्घकालीन विकास और शांति के लिए आवश्यक है।
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