भारत में वैश्विक वार्मिंग के कारण मानसून के पैटर्न में बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं, जिससे कृषि क्षेत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। मानसून के समय और तीव्रता में अनियमितता के कारण किसानों को फसलों की सिंचाई और कटाई में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
वैश्विक वार्मिंग से मानसून पैटर्न कैसे प्रभावित हो रहा है?
मानसून की आवृत्ति और अवधि में बदलाव हो रहा है, जिससे वर्षा में असमानता हो रही है। इसके प्रमुख कारण हैं:
- समुद्री सतह के तापमान में वृद्धि
- हवा के संचरण में अनियमितताएं
- जलवायु तंत्र में अस्थिरता
कृषि क्षेत्र पर प्रभाव
यह बदलाव कई प्रकार से कृषि क्षेत्र को प्रभावित करता है:
- फसल उत्पादन में कमी: अनियमित वर्षा के कारण पानी की कमी या अतिवृंद के कारण फसलें प्रभावित होती हैं।
- सिंचाई की समस्याएं: पानी की उपलब्धता में असमानता सिंचाई की लागत और प्रयास को बढ़ाती है।
- सितंबर माह की अवधि में बदलाव: कटाई और बुवाई के लिए उपयुक्त मौसम का समय बदल जाता है, जिससे कार्य प्रभावित होते हैं।
- कीट और रोगों का बढ़ना: मौसम में बदलाव के कारण कीट और रोगों का प्रकोप बढ़ता है, जो फसलों को नुकसान पहुंचाता है।
इसलिए, किसानों और सरकार दोनों को मिलकर जलवायु परिवर्तन के अनुकूल नई तकनीकों और प्रबंधन रणनीतियों को अपनाने की जरूरत है ताकि कृषि क्षेत्र को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
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