राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भोपाल में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने बताया कि लगभग 3,000 वर्ष पूर्व भारत ने विश्व का नेतृत्व किया था।
मोहन भागवत का मुख्य बयान
- भारत ने उस युग में न तो किसी अन्य देश पर कब्ज़ा किया।
- न ही किसी देश के व्यापार को दबाने का प्रयास किया।
- भारत का मार्ग सदैव सहयोग और सहअस्तित्व पर आधारित रहा।
- आक्रामकता और विस्तारवाद भारत के चरित्र में नहीं है।
इतिहास और भारतीय सभ्यता का महत्व
भागवत ने यह भी कहा कि भारतीय सभ्यता ने हमेशा मानवता के कल्याण और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा दिया है। उनका यह बयान इतिहास के पुनर्मूल्यांकन और राष्ट्रीय गर्व को बढ़ाने का एक प्रयास माना जा रहा है।
वैश्विक संदर्भ और भारत की भूमिका
- यह बयान इस समय आया है जब वैश्विक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भारत की भूमिका पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
- सरसंघचालक का मानना है कि भारत भविष्य में विश्व के अग्रणी शांति और सहयोग के अग्रदूत बनेगा।
इस वक्त लोग मोहन भागवत के विचारों पर चर्चा कर रहे हैं और भारत के भविष्य को लेकर आशान्वित हैं। अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें।
ज़्यादा कहानियां
महाराष्ट्र के गांवों में आदानी सीमेंट प्लांट विरोध प्रदर्शन, मुंबई मेट्रो क्षेत्र में तनाव
चेन्नई में सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति की मंजूरी पर नए विवाद की शुरुआत
क्या ‘मेड इन इंडिया’ उत्पाद सचमुच भारतीय है? दिल्ली में सरकार ने शुरू की जांच