राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बताया कि भारत को अब केवल “सुनहरी चिड़िया” के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उसे एक शेर बनने की जरूरत है। उन्होंने नागपुर में इस बात पर ज़ोर दिया कि देश की युवा शक्ति और सामर्थ्य को सही दिशा में लगाकर भारत को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत और प्रभावशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित करना होगा।
मोहन भागवत के मुख्य संदेश
- भारत को अब आमतौर पर समझी जाने वाली शक्तिशाली, लेकिन निडर और निर्णायक शक्ति के रूप में विकसित करना आवश्यक है।
- देश में बदलाव और प्रगति के लिए युवाओं की भूमिका अहम रहेगी।
- सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में एकजुटता बनाए रखना चाहिए ताकि भारत की सामूहिक शक्ति बढ़े।
भारत का भविष्य
भागवत ने कहा कि भारत का भविष्य उज्जवल होगा यदि देश के लोग अपनी चुनौतियों का सामना शेर की तरह करें और भय के बिना आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि यह समय है जब भारत को अपने आत्मविश्वास और राष्ट्रीय गौरव को जागृत करना चाहिए।
समाजी और राष्ट्रीय संदेश
- एकजुटता और सहिष्णुता को बढ़ावा देना।
- देशभक्ति और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना।
- शिक्षा और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना।
मोहन भागवत के ये विचार आज के समय में थोड़ा और खास महत्व रखते हैं क्योंकि विश्व स्तर पर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। भारत का शेर बनना ही उसकी सक्सेस और स्वतंत्रता की चाबी है।
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