रूस में हिंदी भाषा को लेकर छात्रों में बढ़ती रुचि एक महत्वपूर्ण सामाजिक और शैक्षिक बदलाव का प्रतीक है। यह रुचि सोवियत संघ के विघटन के लगभग 30 वर्षों बाद उभरी है और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक व शैक्षिक संबंधों को नया आयाम दे रही है।
रूसी शिक्षा प्रणाली में हिंदी का विकास
गत वर्षों में रूस के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों ने हिंदी भाषा के कोर्सेज में दाखिले की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। इसकी वजह स्थानीय शिक्षा नीतियों में बहुभाषी अध्ययन को प्रोत्साहित करना है, साथ ही दो देशों के बीच बढ़ते सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध भी हैं।
संस्था एवं सहयोग
- मुख्य संस्थान: मस्को भारतीय संस्कृति केंद्र, सेंट पीटर्सबर्ग विश्वविद्यालय, रूसी भाषायी संगठन।
- सांस्कृतिक सहयोग: भारत के राजदूतावास और सांस्कृतिक केंद्रों द्वारा हिंदी व भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना।
- सरकारी पहल: रूस सरकार ने सांस्कृतिक सहयोग समझौते के अंतर्गत हिंदी सीखने के लिए कई योजनाएं और पहल शुरू की हैं।
आधिकारिक बयान और आंकड़े
रूस के शिक्षा मंत्रालय ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि हिंदी की लोकप्रियता रूस में तेजी से बढ़ रही है, जो दोनों देशों के मधुर संबंधों का प्रतीक है। पिछले पांच वर्षों में हिंदी भाषा के छात्रों की संख्या में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और 2024 में 10,000 से अधिक छात्र हिंदी का अध्ययन कर रहे हैं।
प्रभाव और प्रतिक्रियाएं
- सांस्कृतिक और शैक्षिक मजबूती: दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, शैक्षिक और व्यापारिक संबंध मजबूत हुए हैं।
- रोजगार अवसर: तकनीकी और व्यवसायिक क्षेत्रों में रूसी युवाओं की भागीदारी बढ़ी है, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
- सरकारी और विपक्षी समर्थन: यह पहल सरकार द्वारा सकारात्मक रूप से देखी जा रही है, जबकि विपक्ष भी इसे वैश्विक सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए आवश्यक मानता है।
- विशेषज्ञों की दृष्टि: यह विदेशी भाषाओं में रुचि बढ़ाने का बड़ा उदाहरण है, जो ग्लोबलाइजेशन के युग में छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान करता है।
आगे की रणनीतियां
रूस सरकार आगामी वर्षों में हिंदी सहित अन्य विदेशी भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए बजट में वृद्धि करेगी। साथ ही, दोनों देशों के बीच भाषा शिक्षण हेतु ऑनलाइन प्लेटफार्म और शैक्षिक विनिमय कार्यक्रमों का विस्तार भी प्रस्तावित है।
इस बढ़ती प्रवृत्ति के साथ, रूस में हिंदी भाषा सीखने और भारत-रूस सांस्कृतिक सहयोग में निरंतर वृद्धि देखने को मिलेगी।
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