रूस में हिंदी भाषा के प्रति छात्रों की बढ़ती रुचि ने हाल के वर्षों में एक नई दिशा दर्शाई है। यह परिवर्तन सोवियत संघ के विघटन के लगभग तीन दशकों बाद हुआ है, जो भारत और रूस के सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंधों को मजबूत कर रहा है।
प्रमुख तथ्य
- वृद्धि: रूस के टॉप 10 विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा के विद्यार्थियों की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
- केंद्र: मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में हिंदी अध्ययन के लिए विशेष केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें 2000 से अधिक छात्र नामांकित हैं।
- सांस्कृतिक सहयोग: भारत के सांस्कृतिक संगठनों और रूसी शैक्षणिक विभाग की सक्रिय भागीदारी।
संबंधित पक्ष
इस पहल में कई महत्वपूर्ण संस्थान और सरकारें शामिल हैं:
- रूसी शिक्षा मंत्रालय, जिसने हिंदी भाषा को विश्वविद्यालयों के सिलेबस में शामिल किया है।
- भारतीय दूतावास, जो सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रशिक्षण आयोजित कर रहा है।
- कुछ गैर-सरकारी संस्थान, जो हिंदी भाषा के प्रसार में योगदान दे रहे हैं।
सरकारी योजनाएं
रूसी शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि वे अगले पांच वर्षों में हिंदी भाषा के विकास के लिए वित्तीय संसाधनों का आवंटन करेंगे। इस योजना के तहत छात्रों को:
- प्रशिक्षण सामग्री
- व्याख्यान
- ऑनलाइन संसाधन
मुहैया कराए जाएंगे।
तत्काल प्रभाव
इस पहल से भारतीय भाषा और संस्कृति को रूस में व्यापक मान्यता मिल रही है। छात्रों को नई भाषाई क्षमताएं प्राप्त हो रही हैं, जो आने वाले समय में व्यापार, पर्यटन, और कूटनीति के क्षेत्र में सहयोगी साबित होंगी। साथ ही, यह दो देशों के संबंधों को और मजबूत बनाता है।
प्रतिक्रियाएँ एवं आगे की योजनाएँ
- भारतीय शिक्षा मंत्रालय ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों की घोषणा की है।
- विशेषज्ञ मानते हैं कि हिंदी सीखने से बहुपक्षीय रिश्तों में नया आयाम जुड़ेगा।
- आगामी महीनों में रूस के कई विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा के लिए वर्कशॉप और सेमिनार आयोजित किए जाएंगे।
- दोनों देशों की सरकारें शिक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने की योजना बना रही हैं।
इस प्रकार, रूस में हिंदी सीखने का बढ़ता चलन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षणिक संवाद को नई दिशा प्रदान करेगा।
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