भारत सरकार ने 10 अप्रैल 2024 को लोकसभा में डेटा संरक्षण विधेयक 2024 पारित किया, जो देश में व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और डिजिटल अधिकारों को सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह विधेयक देश के तेजी से बढ़ते डिजिटल अर्थव्यवस्था के संदर्भ में नागरिकों के डेटा संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
घटना क्या है?
डेटा संरक्षण विधेयक 2024 का पारित होना एक लंबे समय से चल रहे प्रयास का परिणाम है, जिसका उद्देश्य नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित करना और डिजिटल मंचों पर उनकी निजता को सुनिश्चित करना है। इस विधेयक में डेटा संग्रह, उपयोग, प्रसंस्करण और साझाकरण के लिए व्यापक नियम शामिल हैं। यह कंपनियों और संगठनों को उनकी डेटा नीति स्पष्ट करने और डेटा उल्लंघन की स्थिति में सूचित करने के लिए बाध्य करता है।
घटनाक्रम की समयरेखा
- 2023 के अंत में केंद्रीय सरकार ने विधेयक का मसौदा संसद में प्रस्तुत किया।
- पर्यावरण, न्यायपालिका और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों की संयुक्त समीक्षा हुई।
- मार्च 2024 में लोकसभा की स्टैंडिंग कमेटी ने विधेयक को मंजूरी दी।
- 10 अप्रैल 2024 को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विधेयक को लोकसभा में पारित किया गया।
कौन-कौन जुड़े?
इस विधेयक के निर्माण में निम्नलिखित पक्ष शामिल थे:
- केंद्रीय कानून मंत्रालय
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
- संसद की विशेषज्ञ कमेटियां
- सुप्रीम कोर्ट, जिसने डिजिटल निजता के अधिकारों को मान्यता दी
सरकारी दल, कई तकनीकी विशेषज्ञ और नागरिक समूह इस विधेयक के समर्थक हैं, जबकि विपक्ष ने कुछ प्रावधानों में संशोधन की मांग की है।
आधिकारिक बयान
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा, “यह विधेयक भारत को सुरक्षित डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा में एक नया मोड़ देगा और आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा।” संसद के संसदीय बहस में विधेयक के महत्व पर बल दिया गया। प्रेस रिलीज में बताया गया कि यह कानून डेटा सुरक्षा उल्लंघनों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- विधेयक के पारित होने के बाद डेटा उल्लंघनों में 40 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
- 2023-24 में देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकार 900 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है।
- विधेयक के तहत निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के लगभग 50 लाख डिजिटल उपयोगकर्ता सीधे लाभान्वित होंगे।
तत्काल प्रभाव
इस निर्णय से डिजिटल कंपनियों को अपनी नीतियों में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ानी होगी, जिससे उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा। बाज़ारों में डेटा-संबंधित सेवाओं में तेजी आने की संभावना है। नागरिकों को अपने व्यक्तिगत डेटा पर अधिक नियंत्रण मिलेगा, जिससे उनकी निजता सुरक्षित होगी।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने विधेयक को डिजिटल इंडिया पहल की सफलता बताया।
- विपक्ष ने कुछ प्रावधानों को संवैधानिक अधिकारों के संदर्भ में चुनौती दी।
- आईटी क्षेत्र के विशेषज्ञों ने इसे डिजिटल सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना।
- नागरिक सामाजिक संगठन विधेयक के कड़े अनुपालन की मांग कर रहे हैं।
आगे क्या?
अब विधेयक को राज्यसभा में पारित करना है, जहां इसकी समीक्षा होगी। सरकार ने आश्वासन दिया है कि सभी पक्षकारों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए विधेयक में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। आगामी महीनों में इस कानून का कार्यान्वयन शुरू होगा, जिसके लिए संबंधित विभाग प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
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