भारतीय संसद की लोकसभा ने हाल ही में डेटा संरक्षण विधेयक पारित किया है, जो देश में व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण को मजबूत बनाने के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है। यह विधेयक 15 अगस्त 2024 को मॉनसून सत्र के दौरान पारित किया गया और डिजिटल युग में नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा डेटा उल्लंघनों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आया है।
घटना क्या है?
15 अगस्त 2024 को संसद की लोकसभा में डेटा संरक्षण विधेयक पारित किया गया। यह विधेयक सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत किया गया था और यह निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र में व्यक्तिगत डेटा के संग्रह, उपयोग, और प्रसंस्करण से जुड़े मानकों को स्थापित करता है। प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:
- डेटा की अनुमति प्राप्त करना
- डेटा संचय सीमित करना
- उल्लंघन की घटना पर समय पर सूचना देना
कौन-कौन जुड़े?
इस विधेयक के प्रस्तोता भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और केंद्रीय कानून मंत्रालय थे। इसके अलावा संसद के सदस्य, विशेषकर लोकसभा के सांसद, चर्चा और मतदान में शामिल थे। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र और डेटा सुरक्षा विशेषज्ञों ने मसौदे पर व्यापक सलाह दी थी। विधेयक के अनुपालन के लिए सभी सरकारी विभाग, निजी कंपनियां और डेटा संचालित संस्थान उत्तरदायी होंगे।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक आधिकारिक प्रेस रिलीज़ जारी करते हुए बताया कि यह कानून देश में डेटा सुरक्षा की ठोस आधारशिला रखेगा। संसद की कार्यवाही के रिकॉर्ड के अनुसार, विधेयक पारित करते समय कहा गया कि इससे डिजिटल इकोसिस्टम में विश्वास बढ़ेगा और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगी।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- पिछले पांच वर्षों में भारत में डिजिटल डेटा उपयोग में 40% की वृद्धि हुई है।
- विधेयक लागू होने से व्यक्तिगत डेटा उल्लंघन मामलों में 30% की कमी आ सकती है।
- संसद में विधेयक के समर्थन में 308 मत पड़े जबकि 132 सांसदों ने विरोध किया।
- मतदान में लगभग 86% की उपस्थिति दर्ज की गई।
तत्काल प्रभाव
विधेयक लागू होने के बाद निम्नलिखित प्रभाव होंगे:
- नागरिकों के डेटा अधिकारों का संरक्षण होगा और गोपनीयता मजबूत होगी।
- निजी कंपनियां और स्टार्टअप्स अपने डेटा संचालन में सुधार करेंगे।
- फाइनेंशियल और तकनीकी सेक्टर में डेटा पारदर्शिता बढ़ेगी।
- सूचना प्रौद्योगिकी उद्यमों को नई नीतियों में संशोधन करना पड़ेगा।
प्रतिक्रियाएँ
सरकार ने विधेयक को डिजिटल इंडिया के एजेंडे का एक बड़ा कदम बताया जबकि विपक्ष ने कुछ प्रावधानों को लेकर निजता के अधिकार प्रभावित होने की चिंता जताई। डेटा सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसे संतुलित और आधुनिक कानून करार दिया है। उद्योग संगठन समय पर इसके कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। आम जनता और उपभोक्ता संगठनों ने भी इसे सराहा है और इसके प्रभावों पर नजर बनाए रखने की बात कही है।
आगे क्या?
सरकार ने बताया है कि अब विधेयक को राज्यसभा में प्रस्तुत किया जाएगा और इसके क्रियान्वयन के लिए एक स्वतंत्र डेटा संरक्षण प्राधिकरण जल्द स्थापित किया जाएगा। साथ ही, विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे। आगामी छह महीनों में इसका पूर्ण प्रभाव दिखना शुरू हो जाएगा।
यह विधेयक भारत के डिजिटल परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा और देश के डेटा सुरक्षा ढांचे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करेगा।
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