केंद्र सरकार ने कपड़ा उद्योग के कच्चे माल पर लागू शुल्कों में कटौती करने का निर्णय लिया है। यह कदम कपड़ा मूल्य श्रृंखला में कच्चे माल की लागत को कम करने और उद्योग के विनिर्माताओं एवं उपभोक्ताओं दोनों को राहत देने के उद्देश्य से उठाया गया है। कपड़ा मूल्य श्रृंखला में धागा, कपड़ा, परिधान तथा सिले हुए उत्पाद शामिल हैं।
घटना क्या है?
सरकार ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में कटौती की घोषणा की है, जो कपड़ा उद्योग में कच्चे माल की कीमतों को प्रभावित करती है। इस निर्णय से धागा, कपड़ा और तैयार वस्त्रों की लागत में कमी आने की संभावना है। यह फैसला हाल के आर्थिक दबावों और बढ़ती कच्चे माल की कीमतों को देखते हुए लिया गया है।
कौन-कौन जुड़े?
इस नीति में शामिल हैं:
- केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय
- वाणिज्य मंत्रालय
- कपड़ा विनिर्माता संघ और व्यापारिक संगठन
- स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर कई राज्य सरकारें
सभी ने सरकार के साथ मिलकर इस योजना के निर्माण में योगदान दिया है।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
वस्त्र मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ में कहा गया है, “कपड़ा उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कच्चे माल पर शुल्कों में कटौती आवश्यक है, जिससे उत्पादन लागत में कमी हो और उत्पादों की कीमतें संभली रहें।” वित्त मंत्रालय ने बजट में सहायता राशि का आवंटन भी सुनिश्चित किया है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- कपड़ा कच्चे माल की लागत में अनुमानित 10% की कमी आएगी।
- इस क्षेत्र के लिए बजट में 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
- कपड़ा उद्योग देश की GDP में लगभग 7% का योगदान देता है।
तत्काल प्रभाव
- कपड़ा निर्माण कम्पनियों को उत्पादन लागत कम करने में मदद मिलेगी।
- उपभोक्ताओं को मध्यम अवधि में कपड़ा एवं परिधानों की कीमतों में स्थिरता देखने को मिलेगी।
- निर्यात क्षेत्र में भारतीय कपड़ा उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
प्रतिक्रियाएँ
कपड़ा उद्योग से जुड़े व्यापारिक संगठन और विशेषज्ञ इस फैसले को सकारात्मक रूप में देख रहे हैं। वे इसे उद्योग की लागत-संरचना में सुधार के लिए आवश्यक कदम मानते हैं। विपक्ष के कुछ नेताओं ने इसे सतत सुधार की दिशा में पहला कदम बताया है, जबकि कुछ ने उत्पादन एवं रोजगार सृजन में अधिक समर्थन की मांग की है।
आगे क्या?
- सरकार इस पहल का प्रभाव करीब से देखेगी और आवश्यकतानुसार आगे सुधार कर सकती है।
- नए नियम अगले महीने से प्रभावी किए जाएंगे।
- कपड़ा उद्योग के हितधारकों से नियमित फीडबैक लिया जाएगा।
- निर्यात प्रोत्साहन के लिए नई योजनाएँ भी लाई जाएंगी।
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