सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल 2024 को यौन उत्पीड़न के मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। यह फैसला देश की न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें मुकदमों की सुनवाई में किसी भी प्रकार की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
घटना क्या है?
यौन उत्पीड़न के लंबित मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ न्यायालयों और जिला अदालतों को निर्देश दिया है कि वे पीड़ितों को न्याय जल्द से जल्द प्रदान करें। इसके लिए अदालत ने एक विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया है जिसमें सभी अदालतों को नियमित निगरानी और प्रभावशाली सुनवाई सुनिश्चित करने की आवश्यकता बताई गई है।
कौन-कौन जुड़े?
- सुप्रीम कोर्ट
- उच्च न्यायालय
- जिला अदालतें
- महिला सुरक्षा से जुड़े सामाजिक संगठन
- मानवाधिकार आयोग
- न्याय मंत्रालय
प्रत्येक संस्था में सक्रिय भागीदारी इस मामले की त्वरित प्रगति के लिए जरूरी है। न्याय मंत्रालय ने भी निर्देशों के पालन का आश्वासन दिया है।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 60 दिनों के भीतर सभी यौन उत्पीड़न मामलों की सुनवाई पूरी होनी चाहिए। न्याय मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि केंद्र सरकार अदालत के निर्देशों का पूर्ण समर्थन करेगी और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराएगी।
पुष्टि-शुदा आंकड़े
- राज्य न्यायालयों में लगभग 30,000 यौन उत्पीड़न मामले लंबित हैं।
- इनमें अधिकांश मामलों की सुनवाई में कई महीने लग जाते हैं।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद त्वरित सुनवाई से मामले निस्तारण में 25% तक वृद्धि हो सकती है।
तत्काल प्रभाव
इस फैसले से यौन उत्पीड़न पीड़ितों को न्याय तक जल्दी पहुंच मिलेगी। इसके साथ ही अदालतों की सुनवाई प्रक्रिया में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ेगी, जो महिलाओं की सुरक्षा और सामाजिक विश्वास को मजबूत करेगी।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने निर्देशों का स्वागत करते हुए कहा है कि महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
- विपक्ष ने इसे सकारात्मक कदम माना, साथ ही न्यायिक सुधार की मांग भी जताई।
- सामाजिक संगठनों ने इसे महिला अधिकारों के लिए निर्णायक मोड़ बताया।
- विशेषज्ञों ने कहा कि यह निर्देश महिलाओं के लिए एक मजबूत संदेश है।
आगे क्या?
- सरकार अगले तीन माह में केंद्रीय रिपोर्टिंग तंत्र विकसित करेगी, जो पारदर्शिता बढ़ाएगा।
- उच्च न्यायालय और जिला अदालतों को आदेश की प्रगति पर नियमित रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
- 30 जून 2024 को इस योजना की समीक्षा के लिए बैठक आयोजित की जाएगी।
यौन उत्पीड़न विरोधी न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए यह कदम न केवल त्वरित न्याय की गारंटी देता है, बल्कि महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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