सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में नागरिकों के डेटा संरक्षण और निजता के अधिकार को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान की है। यह निर्णय 2024 के मई महीने में दिल्ली में सुनाया गया, जो देश के डिजिटल युग में गोपनीयता के अधिकार को मजबूती से स्थापित करता है।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिकों का निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने केंद्र एवं राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि वे डेटा संरक्षण के लिए प्रभावी कानून बनाएं और बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के किसी का डेटा साझा न करें। यह आदेश डिजिटल इंडिया के संदर्भ में सुरक्षा और पारदर्शिता दोनों को सुनिश्चित करता है।
कौन-कौन जुड़े?
- केंद्र सरकार
- विभिन्न तकनीकी और सोशल मीडिया कंपनियाँ
- नागरिक अधिकार संगठन
- आईटी मंत्रालय
- इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
- सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय संविधान पीठ
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि “निजता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का आधार है, तथा इसके बिना एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक समाज का संचालन संभव नहीं है।” केंद्र सरकार ने संसद में डेटा संरक्षण विधेयक 2023 प्रस्तुत किया था, जिसके प्रावधानों की समीक्षा अब कोर्ट के आदेशों के अनुरूप करनी होगी।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- भारत में डिजिटल लेनदेन 2023-24 में 35% तक बढ़ा है
- इंटरनेट उपयोगकर्ता 80 करोड़ से अधिक हैं
ये आंकड़े डेटा सुरक्षा की मांग को और बढ़ाते हैं तथा देश में डेटा संरक्षण के महत्व को दर्शाते हैं।
तत्काल प्रभाव
आदेश के बाद सरकार ने कहा कि वह जल्द ही एक मजबूत डेटा सुरक्षा कानून बनाएगी। इसके चलते तकनीकी कंपनियों को कड़े नियमों के तहत अपने डेटा प्रबंधन उपायों को अपडेट करना होगा। नागरिकों को भी अपने व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण के लिए नए अधिकार प्राप्त होंगे।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने फैसले का स्वागत किया और इसे डिजिटल इंडिया के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
- विपक्ष ने इसे नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए आवश्यक निर्णय माना।
- आईटी विशेषज्ञों ने इस फैसले को भारत के लिए डिजिटल सुरक्षा का मील का पत्थर बताया।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने अपनी निजता नीतियों के पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
आगे क्या?
सरकार ने बताया है कि डेटा संरक्षण कानून को संसद में आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। सरकारी एजेंसियां और स्टेकहोल्डर्स इस विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि वह इस मामले की स्थिति की निगरानी जारी रखेगा।
यह फैसला भारत में डेटा सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो नागरिकों के निजता अधिकारों को मजबूत करेगा और डिजिटल लेनदेन में विश्वास बढ़ाएगा।
ताज़ा अपडेट्स के लिए पढ़ते रहिए Questiqa Bharat।
ज़्यादा कहानियां
15 नवंबर 2023: दिनभर की प्रमुख घटनाओं का संक्षिप्त विवरण
देश-विदेश की प्रमुख खबरें: 15 नवंबर, शनिवार की लाइव अपडेट
देश और दुनिया के ताज़ा अपडेट: 15 नवंबर की प्रमुख खबरें