सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जो पूरे देश के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यह फैसला सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता पर आधारित है। इस फैसले का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सतत विकास के लिए दिशा-निर्देशक होगा।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के लिए नवीन नियमों और नीतियों को लागू करने का आदेश दिया है। यह आदेश 10 जून 2024 को संविधान पीठ ने सुनाया, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण के लिए औद्योगिक इकाइयों और शहरी क्षेत्रों में सख्त पर्यावरण मानदंड लागू करने का निर्देश दिया गया। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है।
कौन-कौन जुड़े?
इस मामले में यूनीवर्सल पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (यूपीईए) ने याचिका दायर की थी, जिसमें औद्योगिक प्रदूषण और वायु गुणवत्ता में गिरावट को लेकर चिंता जताई गई। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। सुप्रीम कोर्ट में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि औद्योगिक इकाइयां अब 2025 तक कागज रहित, स्वच्छ तकनीक अपनाएं। पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देश के 30 प्रतिशत शहरों में वायु प्रदूषण स्तर WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की सीमा से ऊपर है। आदेश में कहा गया है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) द्वारा दोषी इकाइयों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई तेज की जाएगी।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- भारत की औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में 2023 में 12 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई।
- औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का बजट पर्यावरण मंत्रालय को आवंटित किया गया।
- पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों में 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
तत्काल प्रभाव
यह फैसला पूरे देश में प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को गति देगा। उद्योगों को पर्यावरणीय नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी। आम नागरिकों के लिए स्वच्छ वातावरण की उम्मीद बढ़ेगी, और स्वास्थ्य संबंधी लाभ होने की संभावना है। व्यापार और उद्योग क्षेत्र में थोड़ी चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं, लेकिन लंबे समय में यह सतत विकास के लिए आवश्यक है।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह भारत के स्वच्छ और हरित भविष्य के लिए एक अहम कदम है।
- विपक्ष ने कहा कि सभी स्तरों पर इस आदेश को प्रभावी बनाने के लिए कठोर निगरानी और पारदर्शिता आवश्यक है।
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने कहा कि यह फैसला वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बेहतर है और इसे प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
- उद्योग संगठनों ने कहा कि वे नई तकनीकी बदलावों को अपनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन रोडमैप स्पष्ट होना चाहिए।
- जनता में स्वच्छता और स्वास्थ्य के संरक्षण को लेकर सकारात्मक भावना विकसित हुई है।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकार और संबंधित एजेंसियां तीन महीने के भीतर प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में अपनी कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर 2024 को होगी जब इस आदेश की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। सरकार ने भी इस दिशा में नए नियम और प्रोत्साहन पैकेज पर काम शुरू कर दिया है।
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