नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में चुनाव आयोग की प्राधिकारिता को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सुनिश्चित मतदान प्रक्रिया (SIR) चुनाव आयोग का विशेषाधिकार है। आयोग को कोई भी निर्देश देना दखलअंदाजी माना जाएगा। यह निर्णय बिहार से जुड़ी एक मामले में आया है जहां न्यायालय ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को बरकरार रखने पर जोर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र होनी चाहिए। उनका काम सही और पारदर्शी चुनाव कराना है। ऐसे में किसी भी बाहरी संगठन या विभाग का चुनाव आयोग को निर्देश देना चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप होगा।
इस आदेश के पीछे मुख्य उद्देश्य है:
- चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को मजबूत बनाना
- लोकतंत्र की रक्षा करना
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग के फैसलों को सम्मानित किया जाना चाहिए और उसकी निर्णय लेने की क्षमता में बाधा नहीं डाली जानी चाहिए।
इस फैसले से चुनाव आयोग की भूमिका और भी सशक्त हो गई है, जो भारत के निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वसनीयता को बढ़ाएगा।
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