सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जो पूरे देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए मार्गदर्शक होगा। यह फैसला पर्यावरणीय सुरक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
घटना क्या है?
यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट की एक याचिका पर आया है, जिसमें संविधान और पर्यावरण संरक्षण के अधिकारों की बात की गई थी। मामले की सुनवाई कुछ सप्ताह पहले शुरू हुई और अदालत ने इसे प्राथमिकता दी। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि पर्यावरण संरक्षण सर्वोपरि है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक का स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में रहने का अधिकार है।
कौन-कौन जुड़े?
इस मामले में शामिल थे:
- सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायालय सदस्य
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय
- विभिन्न राज्य सरकारें
- पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय सामाजिक संगठन
- औद्योगिक क्षेत्र से संबंधित विशेषज्ञ
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय 21 जून 2023 को सुनाया। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सुनवाई के दौरान पर्यावरण संरक्षण के लिए उपलब्ध संसाधनों और बजट की जानकारी दी। अदालत ने आदेश दिया कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पर्यावरणीय नियमों का कड़ाई से पालन करें और नियमित रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- देश में वनों की कटाई में पिछले पाँच वर्षों में 17% की कमी आई है।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विरासत वन क्षेत्रों की सुरक्षा बढ़ेगी।
- औद्योगिक प्रदूषण में कमी आने की उम्मीद है।
- राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (NPCB) की निगरानी कड़ी होगी।
तत्काल प्रभाव
इस फैसले का प्रभाव पूरे देश में पड़ेगा:
- औद्योगिक क्षेत्रों को पर्यावरणीय मानदंडों का कड़ाई से पालन करना होगा।
- राज्य सरकारों को पर्यावरणीय नीतियाँ और भी सख्त करनी होंगी।
- आम नागरिकों के लिए स्वच्छ हवा और पानी की उपलब्धता बेहतर होगी।
प्रतिक्रियाएँ
- केंद्र सरकार ने फैसले का स्वागत किया और इसे विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बताया।
- विपक्षी दलों ने भी इसका समर्थन किया।
- पर्यावरणविदों ने इसे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना।
- उद्योग निकायों ने पर्यावरण नियमों के पालन के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित संस्थाओं को निर्देश दिया है कि वे छह माह के भीतर पर्यावरण संरक्षण से संबंधित टिप्पणियों को लागू करें। अगली सुनवाई नवंबर 2023 में होगी, जहाँ इसके पालन की समीक्षा की जाएगी।
यह निर्णय भारत में पर्यावरण सुरक्षा को नए आयाम देगा और विकास के साथ पर्यावरणीय हितों की रक्षा सुनिश्चित करेगा।
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