नई दिल्ली में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। 2024 के जून महीने में यह आदेश पर्यावरण संबंधी गंभीर मुद्दों को देखते हुए दिया गया है, जिससे यह निर्णय देश के पर्यावरण सुधारों में अहम मील का पत्थर साबित होगा।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र सरकार को पर्यावरण संरक्षण को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है। यह निर्देश विशेष रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में लागू होंगे:
- प्रदूषण नियंत्रण
- वृक्षारोपण
- जल संसाधनों का संरक्षण
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई होगी।
कौन-कौन जुड़े?
इस आदेश में निम्नलिखित संस्थाएं और विभाग प्रमुख भूमिका निभाएंगे:
- पर्यावरण मंत्रालय
- राज्यों की पर्यावरण संरक्षण एजेंसियां
- जल संसाधन विभाग
- स्थानीय प्रशासन
कोर्ट के सत्र में केंद्र और विभिन्न राज्यों के पर्यावरण विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
आधिकारिक बयान और दस्तावेज़
15 जून 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 48A एवं 51A(g) के तहत सरकार और नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे पर्यावरण की रक्षा करें। इसके तहत सभी राज्यों को पर्यावरण नियमों का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- 2023 के मुकाबले परिवहन और औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला प्रदूषण 7% बढ़ा है।
- वृक्षारोपण की दर में पिछले दो वर्षों में 4% की कमी आई है।
- जल प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में 12% बढ़ोतरी हुई है।
तत्काल प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने पर्यावरण निगरानी बढ़ा दी है। उद्योगों को लगातार निरीक्षणों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे पर्यावरण नियमों का बेहतर पालन होने की उम्मीद है और लोगों का जीवन अधिक स्वस्थ बनेगा।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने आदेश का स्वागत करते हुए पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही है।
- विपक्ष ने भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना की है।
- विश्लेषक कहते हैं कि यह फैसले व्यवसायों के लिए चुनौतियां ला सकते हैं, लेकिन पर्यावरण हित में उपयोगी हैं।
- सामाजिक संगठनों ने इसे सकारात्मक कदम बताया है।
आगे क्या?
सरकार ने घोषणा की है कि जुलाई 2024 से पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना एवं दंड बढ़ा दिए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी 6 महीने बाद इस आदेश की समीक्षा का समय निर्धारित किया है। साथ ही पर्यावरण मंत्रालय पर्यावरण जागरूकता अभियान को तेज़ करेगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय देश के दीर्घकालीन सतत विकास के लिए मार्गदर्शक साबित होगा। ताज़ा अपडेट्स के लिए Questiqa Bharat पढ़ते रहिए।
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