सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पर्यावरण संरक्षण के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो देशभर के औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण में मदद करेंगे। यह फैसला 2024 के अप्रैल महीने में दिल्ली में सुनाया गया, जिसका उद्देश्य जल, वायु और भूमि प्रदूषण को कम करना है।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण मामलों में सरकारी विभागों, उद्योगों और राज्य सरकारों के लिए नए नियम निर्धारित किए हैं। इन नियमों में शामिल हैं:
- मानक प्रदूषण सीमा
- नियमित निगरानी व्यवस्था
- कड़े दंड
कोर्ट ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण राष्ट्र की प्राथमिकता होनी चाहिए।
कौन-कौन जुड़े?
इस मामले में प्रमुख पक्ष हैं:
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)
- राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB)
- विभिन्न औद्योगिक संगठन
- सामाजिक पर्यावरण समूह
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में उल्लेख है कि:
- सभी उद्योगों को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के नियमों का उल्लंघन किए बिना काम करना होगा।
- सरकार को प्रत्येक छह माह पर प्रदूषण नियंत्रण की समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
भारत में औद्योगिक प्रदूषण से पर्यावरण क्षति में पिछले पांच वर्षों में 15 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद, प्रदूषण नियंत्रण में 30 प्रतिशत सुधार की उम्मीद की जा रही है।
तत्काल प्रभाव
- उद्योगों को अपने उत्पादन प्रक्रिया में सुधार करना होगा।
- प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग बढ़ाना होगा।
- नागरिकों को स्वच्छ वातावरण मिलने की संभावना बढ़ेगी।
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में कमी आएगी।
- बाज़ार में हरित प्रौद्योगिकी के उपकरणों की मांग में वृद्धि हुई है।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का स्वागत किया है।
- विपक्षी पार्टियों ने इसका समर्थन किया और इसे राष्ट्रीय हित में बताया।
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे प्रभावी और समयोचित निर्णय माना।
- उद्योग समूहों ने आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था कर अनुपालन सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया।
आगे क्या?
- सरकार ने तीन महीनों में प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष अभियान चलाने की घोषणा की है।
- सुप्रीम कोर्ट ने अगली समीक्षा सुनवाई जुलाई 2024 निर्धारित की है।
- सभी पक्षों से प्रगति रिपोर्ट मांगी गई है।
सुप्रीम कोर्ट के नए पर्यावरण दिशा-निर्देश राष्ट्रीय स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इस फैसले से जुड़े सभी हितधारक इसे लागू करने हेतु सक्रियता दिखा रहे हैं। देश का पर्यावरण संरक्षण अब और प्रभावी होगा।
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