सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। यह फैसला देशभर में पर्यावरणीय सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए लिया गया है और आगामी नीतिगत बदलावों के लिए मार्गदर्शक साबित होगा।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कड़े नियमों को लागू करने का आदेश दिया है। इस फैसले में अदालत ने प्रदूषण नियंत्रण, जल संसाधन संरक्षण और हरित क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं। यह निर्णय 12 जून 2024 को सुनाया गया।
कौन-कौन जुड़े?
इस मामले में मुख्य पक्ष निम्नलिखित थे:
- केंद्र सरकार
- विभिन्न राज्य सरकारें
- पर्यावरण मंत्रालय
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण
- पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की पीठ ने इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
पर्यावरण मंत्रालय ने अदालत को सूचित किया कि वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई योजनाएँ चल रही हैं, जिनमें स्वच्छ India मिशन और जल संरक्षण कार्यक्रम प्रमुख हैं। अदालत ने सभी राज्यों को आदेश दिया कि वे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सिफारिशों को सख्ती से लागू करें। लोकसभा में भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर हाल ही में एक विधेयक पर बहस हुई है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार:
- पिछले पांच वर्षों में वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली बीमारियों में 15% की वृद्धि हुई है।
- जल संसाधनों की कमी 25% बढ़ी है।
अदालत ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया।
तत्काल प्रभाव
- कई उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण उपाय अपनाने होंगे।
- राज्य सरकारों को जल संरक्षण के लिए बेहतर नीतियाँ बनानी होंगी।
- नागरिकों को स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
- बाजार में हरित उत्पादों की मांग में वृद्धि होने की संभावनाएं हैं।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने आदेश का स्वागत करते हुए पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया।
- विपक्ष ने इस कदम का समर्थन किया।
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे एक सकारात्मक और आवश्यक कदम माना।
- उद्योग समूहों ने कुछ चिंताएं जताईं, लेकिन नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- आम जनता में व्यापक समर्थन देखा गया।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पर्यावरण संरक्षण संबंधी सभी संबंधित विभाग अगले तीन महीने के भीतर कार्य योजना प्रस्तुत करें। अगले साल की शुरुआत में इस फैसले की समीक्षा की जाएगी और आवश्यकतानुसार नए दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिए एक नए युग की शुरुआत माना जा रहा है। सभी पक्ष मिलकर देश के पर्यावरण को बेहतर बनाएंगे।
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