नई दिल्ली, 20 अप्रैल 2024: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण पर्यावरण संरक्षण निर्णय सुनाते हुए देश के प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और प्रदूषण नियंत्रण पर जोर दिया है। यह फैसला केंद्रीय और राज्य सरकारों को पर्यावरण संरक्षण के स्तर को बढ़ाने हेतु निर्देशित करता है।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को पर्यावरण संरक्षण के लिए सख्त उपाय लागू करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने जल, वायु प्रदूषण और जंगल कटाई रोकने के लिए विशेष पर्यवेक्षण समिति गठित करने को कहा है।
कौन-कौन जुड़े?
इस निर्णय में शामिल पक्ष हैं:
- सुप्रीम कोर्ट
- केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
- राज्य सरकारें
- नागरिक पर्यावरण समूह
सभी संबंधित विभागों को पर्यावरणीय कानूनों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
आधिकारिक दस्तावेज़ और बयान
50 पृष्ठों से बनी सुप्रीम कोर्ट की आदेश-पत्रिका में यह स्पष्ट किया गया है कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण राष्ट्र का दायित्व है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने फैसले का समर्थन करते हुए प्रेस रिलीज जारी की, जिसमें सरकार के संकल्प को रेखांकित किया गया है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- वायु प्रदूषण में पिछले एक वर्ष में 12% वृद्धि
- जल प्रदूषण के कारण लगभग 30 लाख हेक्टेयर खेत अव्यवस्थित
- अवैध कटाई में 8% वृद्धि
तत्काल प्रभाव
यह निर्णय केंद्र और राज्य सरकारों को पर्यावरणीय मानकों को कड़ाई से लागू करने के लिए बाध्य करता है। इससे उद्योगों के लिए नई नियमावलियाँ लागू हो सकती हैं और आम जनता को स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण उपलब्ध होने की संभावना बढ़ेगी।
प्रतिक्रियाएं
- केंद्रीय मंत्री ने फैसले को पर्यावरण संरक्षण के लिए सकारात्मक कदम बताया।
- विपक्ष ने आवश्यक सुधारों पर जोर दिया।
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस फैसले का स्वागत किया।
- उद्योग जगत ने प्रतिबंधों में संतुलन बनाए रखने की अपील की।
- सामाजिक संगठनों ने निरंतर निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया।
आगे क्या?
सरकार ने अगले तीन महीने में पर्यावरणीय मानकों के कार्यान्वयन की प्रगति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है। अदालत समय-समय पर समीक्षा बैठकें कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उचित कदम सुनिश्चित करेगी।
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