सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रदूषण नियंत्रण के लिए नए और सख्त नियम लागू करने का निर्देश दिया है। यह फैसला देश भर के पर्यावरण संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है और इसे 15 जून 2024 को दिल्ली में सुनाया गया।
घटना क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्यों में औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सभी उद्योगों को पर्यावरण मानकों का कड़ाई से पालन करने और प्रदूषण नियंत्रण उपकरण को अनिवार्य रूप से स्थापित करने का आदेश दिया है।
कौन-कौन जुड़े?
इस फैसले में मुख्य पक्ष हैं:
- सुप्रीम कोर्ट
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- विभिन्न राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
- पर्यावरण मंत्रालय
- औद्योगिक संगठन
कोर्ट ने राज्य सरकारों को 30 जून तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए किन-किन उपायों को लागू किया गया है।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
पर्यावरण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पुष्टि करते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें कहा गया है कि प्रदूषण नियंत्रण को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मंत्रिमंडल ने इस दिशा में 500 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जिसका उपयोग प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों के आधुनिकीकरण और निगरानी प्रणाली को बेहतर बनाने में किया जाएगा।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में औद्योगिक प्रदूषण में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसके कारण हवा और जल प्रदूषण में भी वृद्धि दर्ज की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित मानकों का उल्लंघन करने वाले उद्योगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
तत्काल प्रभाव
इस निर्णय के तुरंत बाद कई बड़े उद्योगों ने अपने प्रदूषण नियंत्रण उपायों को कड़ा करने की घोषणा की है। बाजार में पर्यावरण संवेदनशील उत्पादों की मांग बढ़ने के साथ ही इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। आम जनता को साफ हवा और स्वच्छ जल उपलब्ध होने की उम्मीद है।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा है कि यह फैसला पर्यावरण संरक्षण के लिए एक सकारात्मक कदम है।
- विपक्षी दलों ने भी फैसला समर्थन करते हुए कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में कड़े कदम आवश्यक हैं।
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसे समयानुकूल और महत्वपूर्ण निर्णय बताया है।
- उद्योग समूहों ने कुछ प्रावधानों पर कठिनाई जताई है।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय और संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे 31 जुलाई 2024 तक प्रदूषण नियंत्रण के लिए विस्तृत कार्य योजना सरकार को सौंपें। इसके अतिरिक्त कोर्ट ने भविष्य में आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी समितियों के गठन का प्रस्ताव रखा है।
इस फैसले से देश में पर्यावरण सुरक्षा के प्रयास और भी मजबूत होंगे। ताज़ा अपडेट्स के लिए पढ़ते रहिए Questiqa Bharat।
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