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करमत हुसैन मुस्लिम गर्ल्स पोस्ट ग्रैजुएट कॉलेज में हिंदी साहित्य समिति, सबरंग द्वारा आयोजित ‘हिंदी पखवाड़ा’ का समापन समारोह संपन्न हुआ। यह आयोजन हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मुख्य अतिथि और सहायक अतिथि ने हिंदी भाषा के विकास पर अपने मूल्यवान विचार साझा किए।
पृष्ठभूमि
हिंदी पखवाड़ा एक दो सप्ताह का आयोजन है, जिसमें हिंदी भाषा के विविध पहलुओं जैसे साहित्य, संस्कृति, और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसका उद्देश्य हिंदी भाषा को युवा पीढ़ी तक पहुँचाना और उसकी महत्ता को अक्षुण्ण बनाए रखना है। करमत हुसैन मुस्लिम गर्ल्स पीजी कॉलेज की हिंदी साहित्य समिति, सबरंग, इस आयोजन का नियमित आयोजक है, जो छात्राओं को हिंदी भाषा एवं साहित्य में प्रोत्साहित करता है।
मुख्य पक्षकार
समारोह के मुख्य अतिथि और सहायक अतिथि ने हिंदी भाषा और साहित्य के महत्व पर प्रकाश डाला। वे विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र में अपना योगदान दिया है। हिंदी साहित्य समिति के सदस्य एवं कॉलेज प्रबंधन भी इस आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल रहे। छात्राओं ने कविता पाठ, नाटक, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी प्रतिभा प्रस्तुत की।
राष्ट्रीय असर
ऐसे आयोजन हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और संरक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। ये कार्यक्रम भाषा के शिक्षण और विकास में योगदान करते हैं और विद्यार्थियों में हिंदी भाषा के प्रति सम्मान व आकर्षण बढ़ाते हैं। सांस्कृतिक एकता एवं भाषाई समृद्धि को भी बढ़ावा मिलता है, जो राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में सहायक होता है।
विशेषज्ञों की राय
भाषा विशेषज्ञ एवं शिक्षाविद इस पहल को भाषा संरक्षण व उत्साहवर्धन के लिए एक सकारात्मक कदम मानते हैं। उनका कहना है कि हिंदी को विश्व की प्रमुख भाषाओं में एक के रूप में बनाए रखने के लिए संस्थानों तथा युवा पीढ़ी में इसकी लोकप्रियता बढ़ाना आवश्यक है। वे विद्यार्थियों को हिंदी साहित्य में रुचि लेने और इसे नई पीढ़ी तक पहुँचाने की सलाह देते हैं।
आगे का रास्ता
भविष्य में हिंदी पखवाड़ा जैसे कार्यक्रमों का दायरा बढ़ाना एवं इनके प्रभाव को व्यापक बनाना आवश्यक है। डिजिटल माध्यमों के उपयोग से अधिक दर्शक वर्ग तक पहुँच संभव है। साथ ही हिंदी साहित्य के नवाचार, अनुवाद और शोध कार्य को प्रोत्साहित करने की जरूरत है ताकि हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर और मान्यता मिले। शिक्षा नीति-निर्माता एवं सांस्कृतिक संस्थान को हिंदी भाषा के विकास में और निवेश करना चाहिए।
हिंदी पखवाड़ा के समापन समारोह ने एक बार फिर हिंदी भाषा की महत्ता और इसके संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित किया, जो आगामी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
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