अभिनेता Zeeshan Ayyub ने हाल ही में फिल्म Raanjhanaa के अनुभव साझा किए, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे मुख्य अभिनेता धनुष को हिंदी संवादों को बनारसी लहजे में सीखने में कठिनाई होती थी। यह फिल्म 2013 में रिलीज़ हुई थी और इसमें बनारस (वाराणसी) की संस्कृति और भाषा को प्रमुखता दी गई थी।
Zeeshan Ayyub ने कहा कि धनुष ने हिंदी भाषा में संवाद बोलने के लिए विशेष मेहनत की, खासकर बनारसी लहजे को सही ढंग से प्रस्तुत करने के लिए। अभिनेता ने बताया कि शुरुआती दिनों में धनुष को संवादों को बोलने में कई बार दोहराना पड़ता था, लेकिन उनकी लगन और मेहनत ने अंततः बेहतरीन प्रदर्शन सुनिश्चित किया।
फिल्म Raanjhanaa का निर्देशन आनंद एल राय ने किया था और इसमें बनारस की स्थानीय भाषा व संस्कृति को दिखाने पर खास ध्यान दिया गया था। धनुष ने अपने किरदार के लिए बनारसी हिंदी सीखने हेतु अतिरिक्त अभ्यास किया था, जिससे उनकी भूमिका और अधिक प्रभावशाली बनी।
Zeeshan Ayyub ने यह भी उल्लेख किया कि फिल्मों में स्थानीय भाषाओं और लहजों की मजबूती से प्रस्तुति दर्शकों में जुड़ाव बढ़ाती है, और इस फिल्म में यह प्रयास सफल रहा। इस अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने युवा कलाकारों के लिए भी प्रेरणा दी।
यह घटना फिल्मों में भाषा एवं क्षेत्रीय संस्कृति के महत्व को दर्शाती है, जो कलाकारों के समर्पण से संभव हो पाती है।
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