केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी भाषा को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कानून और पुलिसिंग जैसे क्षेत्रों में विस्तारित करने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने हिंदी को भारत की अन्य भाषाओं के साथ एकजुटता का माध्यम और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने वाली ‘साथी भाषा’ बताया।
घटना क्या है?
अमित शाह ने एक कार्यक्रम में कहा कि हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि विज्ञान, तकनीकी, न्यायपालिका एवं सुरक्षा क्षेत्रों में भी अपनाई जानी चाहिए। इस पहल से हिंदी को देश में व्यापक प्रोत्साहन मिलेगा तथा भाषाई विविधता के बीच सामंजस्य स्थापित होगा।
कौन-कौन जुड़े?
- केंद्रीय गृह मंत्रालय
- शिक्षा मंत्रालय
- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
- भाषा आयोग
- राज्य सरकारें, विशेषकर गुजरात सरकार जो हिंदी और क्षेत्रीय भाषा के मध्य सामंजस्य स्थापित करने का उदाहरण हैं
अधिकारी बयान/दस्तावेज़
अमित शाह ने गुजरात के अनुभव का उल्लेख करते हुए कहा कि हिंदी भाषा ने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया है बिना क्षेत्रीय भाषाओं की अहमियत कम किए। उन्होंने कहा कि हिंदी को विज्ञान और तकनीकी भाषा में विकसित करने से यह क्षेत्रीय सीमाओं से ऊपर उठेगी। भाषाई सुधारों और हिंदी शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए नए प्रस्ताव बनाए जा सकते हैं।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- हिंदी भाषी इलाकों में उच्च और तकनीकी शिक्षा में वृद्धि देखी गई है।
- हिंदी माध्यम में तकनीकी और वैज्ञानिक शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में लगभग 15% की बढ़ोतरी।
- हिंदी में न्यायिक प्रक्रियाओं के नए दस्तावेजों का विकास हुआ है।
तत्काल प्रभाव
इस पहल से हिंदी भाषा की स्थिति देश के कई हिस्सों में मजबूत होगी। हिंदी भाषी युवाओं को रोजगार और शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे। आईटी, पुलिसिंग और कानूनी क्षेत्रों में हिंदी का समावेश प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाएगा।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने इसे राष्ट्रीय एकता के लिए महत्वपूर्ण माना।
- विपक्षी दलों ने सभी राज्य भाषाओं का सम्मान बनाए रखने के सुझाव दिए।
- भाषाविद् और न्यायिक विशेषज्ञों ने इसे सकारात्मक कदम बताया।
- कुछ सामाजिक संगठनों ने क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण की चिंता जताई।
आगे क्या?
केंद्र सरकार आगामी नीति सत्रों में हिंदी को विज्ञान और तकनीकी भाषा के रूप में विकसित करने के लिए विस्तृत योजना प्रस्तुत करेगी। इसके लिए बहुभाषी शिक्षा कार्यक्रम और प्रशिक्षण सत्र आयोजित होंगे। अगले छह माह में हिंदी भाषा विकास संबंधित नई गाइडलाइंस जारी की जाने की संभावना है।
तीव्र गति से बदलती भाषा नीति में यह स्पष्ट होगा कि हिंदी किस प्रकार देश के विभिन्न क्षेत्रीय भाषाई माहौल के साथ समन्वय स्थापित करती है।
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