केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को हिंदी भाषा के महत्व पर बल देते हुए इसे भारतीय भाषाओं के लिए प्रतिस्पर्धा की वस्तु नहीं बल्कि मित्र के रूप में देखा जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी सभी भारतीय भाषाओं को जोड़ने का माध्यम बन सकती है और इसके माध्यम से देश की एकता और समरसता को बढ़ावा मिलेगा।
घटना क्या है?
संसदीय सत्र के दौरान या किसी सार्वजनिक सभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी भाषा की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिंदी को अन्य भारतीय भाषाओं के साथ प्रतिस्पर्धा में नहीं, बल्कि सहयोगी और मित्रवत दृष्टिकोण से समझना चाहिए। यह विचार भाषा की विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देने के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना गया।
कौन-कौन जुड़े?
इस विषय पर जुड़े हुए हैं:
- केंद्र सरकार
- भाषाविद
- समाजसेवी संगठन
- विभिन्न राज्य सरकारें
- भाषा प्रेमी
गृह मंत्रालय ने भी हिंदी भाषा से जुड़े राष्ट्रीय प्रयासों का संचालन किया है। अमित शाह ने भाषा नीति के बारे में बताने के दौरान केंद्र सरकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया।
घटना की समयरेखा
रविवार को एक भाषा सम्बंधित कार्यक्रम में अमित शाह ने यह बात कही। हाल ही में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाएँ लागू की गई हैं, जिनमें शामिल हैं:
- हिंदी दिवस समारोह
- भाषा प्रचार-प्रसार के लिए वित्तीय सहायता
- शिक्षा में हिंदी को महत्व देना
आधिकारिक बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “हिंदी को सभी भारतीय भाषाओं के लिए प्रतिस्पर्धा की जगह एक मित्र के रूप में देखना चाहिए जो विविधता में एकता की भावना को सुदृढ़ करता है।” गृह मंत्रालय की ओर से भी हिंदी को प्रोत्साहित करने की नीति जारी कर दी गई है।
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- भारत में लगभग 41% जनसंख्या हिंदी को मातृभाषा या दूसरी भाषा के रूप में बोलती है।
- देश में कुल 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं।
- पिछले पाँच वर्षों में हिंदी माध्यम स्कूलों की संख्या में 15% की वृद्धि हुई है।
हिंदी की यह व्यापक पहुंच इसे एक सामंजस्य के बिंदु के रूप में स्थापित करती है।
तत्काल प्रभाव
इस बयान से हिंदी भाषा और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। भाषा के प्रति समग्र सहिष्णुता और एकता को बढ़ावा मिलने के आसार हैं। इससे शैक्षिक संस्थान, साहित्यिक मंच और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रभावित हो सकते हैं।
प्रतिक्रियाएँ
सरकार के इस कदम को भाषा विशेषज्ञों और समाजसेवियों ने सराहा है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि भाषाई सद्भाव न केवल सांस्कृतिक विविधता का संवर्धन करता है, बल्कि राष्ट्रीय एकता को भी मजबूत बनाता है। विपक्षी दलों ने भी इस भाषण को स्वागत योग्य बताया।
आगे क्या?
केंद्र सरकार आगामी समय में हिंदी को सभी भारतीय भाषाओं के साथ संवाद का माध्यम बनाने के लिए विशेष अभियान चलाने का प्रस्ताव बना रही है। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे:
- राज्य सरकारों के साथ समन्वय बढ़ाया जाएगा।
- हिंदी को तकनीकी एवं शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल माध्यमों के साथ जोड़ा जाएगा।
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