नई दिल्ली में एक नई चर्चा गर्मा गई है जो अमेरिका की दोहरी नीति पर प्रश्न चिह्न लगाती है। इस विवाद का केंद्र बिंदु है भारत पर लगाए गए 50% आयात शुल्क और रूस से तेल खरीदने वाले यूरोपीय संघ (EU) पर शून्य शुल्क की नीति।
भारत ने बताया है कि अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाकर व्यापार के नियमों में भेदभाव किया है, जबकि रूस से तेल खरीदने वाले यूरोपीय देशों पर यह नीति लागू नहीं की गई। इसके कारण भारत का मानना है कि यह एक असमान व्यापारिक नीति है जो विशेष रूप से भारत को प्रभावित कर रही है।
भारत की मुख्य शिकायतें इस प्रकार हैं:
- 50% शुल्क लगाने से भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो रही है।
- यूरोपीय संघ को रूस से तेल खरीदने की अनुमति पर कोई शुल्क न लगाना व्यापारिक समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।
- इस नीति से भारत-यूएस व्यापारिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
वहीं, अमेरिका का तर्क है कि यह शुल्क व्यापार संरक्षण और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर लगाया गया है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि अलग-अलग क्षेत्रों के लिए भिन्न शुल्क नीति लागू करना आवश्यक है, जिससे आर्थिक और भू-राजनीतिक हित सुरक्षित रह सकें।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों को बैठकर वार्ता करनी चाहिए, ताकि व्यापारिक संबंधों में संतुलन बना रहे और वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े।
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