ईद-ए-मिलाद-उन-नबी, जिसे मिलाद-उन-नबी भी कहा जाता है, 2025 में पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह महत्वपूर्ण इस्लामिक त्यौहार पैगंबर मुहम्मद साहिब के जन्मदिवस के सम्मान में आयोजित होता है। 25 सितंबर 2025 को आने वाला यह पर्व मुस्लिम समुदाय के लिए गहन धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व रखता है।
घटना क्या है?
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन का उत्सव है। इस अवसर पर मस्जिदों और मुस्लिम बस्तियों में विशेष आयोजन होते हैं। नमाजें पढ़ी जाती हैं, हंसाने वाले कथाएं और पैगंबर की जीवनगाथा सुनाई जाती हैं, साथ ही जरूरतमंदों को दान दिया जाता है। 2025 में यह त्योहार 25 सितंबर को मनाया जाता है, जो इस्लामी पंचांग के अनुसार रबी उल अव्वल महीने की 12 तारीख को पड़ता है।
कौन-कौन जुड़े?
इस महत्वपूर्ण त्यौहार में मुख्य रूप से भारत के मुस्लिम समुदाय के श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं। इसके अतिरिक्त, विभिन्न मुस्लिम संगठनों और समिति, जैसे:
- जमीयत उलेमा-ए-हिंद
- इंडिया मुस्लिम लीग
- स्थानीय मस्जिद कमिटियां
भी आयोजन में सहायक होती हैं। सरकार की ओर से भी देश में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए सुरक्षा और व्यवस्थाओं की निगरानी की जाती है।
आधिकारिक बयान/दस्तावेज़
इस वर्ष भी केंद्र और राज्य सरकारों ने ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर सार्वजनिक स्थानों और धार्मिक स्थलों पर आवश्यक सुरक्षा प्रबंध करने के निर्देश जारी किए। मंत्रालय ने धार्मिक स्थलों पर विशेष सफाई और भीड़ नियंत्रण के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने का आदेश दिया है। कई राज्यों में सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया है, ताकि श्रद्धालु पूर्ण मनोयोग से इस पर्व में भाग ले सकें।
पुष्टि-शुदा आंकड़े
2014 के एक सर्वेक्षण के अनुसार:
- भारत में लगभग 14 करोड़ मुसलमान रहते हैं।
- यह कुल जनसंख्या का लगभग 14.2 प्रतिशत है।
- हर साल ईद-ए-मिलाद-उन-नबी धर्मानुसार बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
2025 में भी इस त्योहार में भागीदारी के पिछले वर्षों के समान होने का अनुमान है।
तत्काल प्रभाव
इस शुभ अवसर पर:
- बाजारों में धार्मिक पुस्तकें, प्रार्थना के वस्त्र और स्वादिष्ट पकवानों की मांग बढ़ जाती है।
- सामाजिक मेलजोल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बढ़ोतरी होती है, जिससे स्थानीय व्यवसायों को भी लाभ होता है।
- सार्वजनिक स्थानों पर विशेष सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
प्रतिक्रियाएँ
सरकार ने साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखने और सभी समुदायों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की अपील की है। मुस्लिम समुदाय ने इस पर्व को शांति और भाइचारे का संदेश देने वाला बताया है। विशेषज्ञ धार्मिक आयोजनों को आपसी समझ बढ़ाने का अवसर मानते हैं। बाजारों और व्यापार संगठनों ने इस पर्व के दौरान हुई खरीदारी को सकारात्मक संकेत के रूप में स्वीकार किया है।
आगे क्या?
इस्लामी कैलेंडर के अनुसार आने वाले महीनों में कई महत्वपूर्ण त्योहार और अवसर हैं, जिनकी तैयारियां शुरू हो जाएंगी। सरकार और धार्मिक संगठन मिलकर ईद-ए-मिलाद-उन-नबी जैसी धार्मिक घटनाओं को शांतिपूर्ण ढंग से मनाने के लिए लगातार प्रयासरत रहेंगे। 2025 में भी इस पर्व को पूर्ण श्रद्धा और अनुशासन के साथ मनाया जाएगा।
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