फिल्मकार किरण राव ने हाल ही में Netflix पर रिलीज़ हुई वेब सीरीज ‘Laapataa Ladies‘ की सफलता पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस अवसर पर बॉलीवुड के थियेट्रिकल सिस्टम, मार्केटिंग लागत, और कलाकारों को मिलने वाले समर्थन समेत अन्य पहलुओं पर भी महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। यह चर्चा भारतीय फिल्म उद्योग की वर्तमान स्थिति को समझने के लिए अहम है।
घटना क्या है?
‘Laapataa Ladies’, एक वेब सीरीज है जो Netflix पर रिलीज़ हुई और दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रही। किरण राव ने इस सीरीज की लोकप्रियता पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ऐसी कहानियाँ बेहतर ढंग से प्रस्तुत हो पाती हैं, जबकि बॉलीवुड में इन्हें अपेक्षित समर्थन नहीं मिलता।
कौन-कौन जुड़े?
- किरण राव – फिल्मकार और टिप्पणीकर्ता
- Netflix – प्लेटफॉर्म जिसने वेब सीरीज रिलीज़ की
- ‘Laapataa Ladies’ के निर्माता
- फिल्म उद्योग से जुड़े अन्य संबंधित पक्ष
आधिकारिक बयान
किरण राव ने विभिन्न मीडिया इंटरव्यू और सोशल मीडिया पर कहा कि,
“‘Laapataa Ladies’ ने Netflix पर रिलीज़ के बाद नया जीवन पाया है, जबकि पारंपरिक सिनेमाघर प्रणाली के तहत इसका प्रभाव सीमित होता। भारतीय थियेट्रिकल सिस्टम में कई खामियां हैं जो नए कलाकारों और छोटी फिल्मों के लिए अनुचित हैं।”
पुष्टि-शुदा आँकड़े
- ‘Laapataa Ladies’ ने Netflix पर रिलीज़ के पहले सप्ताह में दर्शक संख्या में 25% वृद्धि दर्ज की।
- डिजिटल माध्यम पर फिल्म की पहुंच अधिक व्यापक और विविध दर्शकों तक पहुंची।
तत्काल प्रभाव
यह घटना दर्शाती है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म भारतीय सिनेमा में तेजी से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वहीं, पारंपरिक थियेट्रिकल रिलीज़ प्रणाली की खामियां और बढ़ती मार्केटिंग लागत छोटे और स्वतंत्र प्रोजेक्ट्स के लिए चिंता का विषय बनी हैं।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने इस विषय पर फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
- फिल्म और उद्योग विशेषज्ञ मानते हैं कि डिजिटल प्लेटफॉर्म ने भारतीय सिनेमा को नए आयाम दिए हैं।
- बॉलीवुड में मार्केटिंग के लिए बड़ी रकम खर्च होना छोटे प्रोजेक्ट्स के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
- जनता की प्रतिक्रिया सकारात्मक रही, खासकर उन दर्शकों के बीच जो नई और प्रतिष्ठित कहानियां देखना चाहते हैं।
आगे क्या?
आगामी महीनों में डिजिटल प्लेटफॉर्म की भूमिका और प्रभाव पर नए अध्ययन और रिपोर्ट आ सकती हैं। इसके साथ ही, भारतीय फिल्म उद्योग थियेट्रिकल सिस्टम में सुधार के लिए कदम उठा सकता है ताकि छोटे और स्वतंत्र फिल्मों को बेहतर समर्थन मिले।
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