केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी भाषा को भारतीय भाषाओं के बीच प्रतिस्पर्धा का कारण नहीं बल्कि एक मित्र के रूप में देखने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच सहकार्य को भाषा संस्कृति की समृद्धि का आधार बताया।
घटना का विवरण
रविवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अमित शाह ने भाषाई सहिष्णुता और हिंदी की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उनका कहना था कि हिंदी को अन्य भाषाओं से संघर्ष की बजाय मेल-जोल की दृष्टि से देखना चाहिए।
कार्यक्रम में उपस्थित लोग
- केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी
- विभिन्न भाषा शिक्षाविद्
- साहित्यकार
- भाषाई विशेषज्ञ
आधिकारिक बयान
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि हिंदी सभी भारतीय भाषाओं का सहयोगी है और सभी भाषाई समूहों के बीच बेहतर समन्वय पर जोर दिया।
प्रासंगिक आँकड़े
- भारत में कुल 22 आधिकारिक भाषाएं हैं।
- हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार लगभग 41% भारतीय जनसंख्या हिंदी बोलती है।
तत्काल प्रभाव
अमित शाह के बयान से भाषाई सौहार्द्र बढ़ने की संभावना है, जिससे सामाजिक समरसता और भाषाई विवादों में कमी आ सकती है।
प्रतिक्रियाएँ
- सरकार ने बयान का स्वागत किया और इसे भाषाई संस्कृतियों के मध्य सामंजस्य का संकेत माना।
- विपक्ष ने भाषाई विविधता की अहमियत पर सहमति जताई।
- भाषा विशेषज्ञों ने इसे एक सकारात्मक कदम बताया है।
आगे की योजनाएं
सरकार ने भाषाई मेल-जोल बढ़ाने तथा हिंदी के प्रचार के लिए नई पहलों के साथ आगामी महीनों में भाषा कार्यक्रम और सहयोगात्मक परियोजनाओं की घोषणा करने का आश्वासन दिया है।
ज़्यादा कहानियां
अमित शाह ने हिंदी को भारतीय भाषाओं का मित्र बताया, प्रतिस्पर्धा नहीं
अमित शाह ने हिंदी भाषा को भारतीय भाषाओं का मित्र बताने पर दिया ज़ोर
गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी को अन्य भाषाओं का प्रतिस्पर्धी नहीं साथी बताया