गुजरात में ताज़ा सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में जंगली शेरों की संख्या 891 पहुंच गई है, जो 2020 की तुलना में 32% अधिक है। यह वृद्धि संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है।
संरक्षणविदों की चिंताएँ
हालांकि, कुछ संरक्षणविद इस बढ़ोतरी को लेकर चिंतित हैं। उनके अनुसार, तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या से जंगलों में भोजन और आवास की कमी हो सकती है, जिससे मानव-शेर संघर्ष की घटनाएं बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, शेरों के लिए उपयुक्त पर्यावरणीय स्थिरता बनाए रखना भी बड़ी चुनौती बन गया है।
विशेषज्ञों की सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि शेरों की संख्या में वृद्धि के साथ ही उनकी सुरक्षा और जैव विविधता को बरकरार रखने के लिए सतत एवं समेकित संरक्षण रणनीतियाँ अपनाना आवश्यक है।
वन विभाग द्वारा उठाए गए कदम
वन विभाग ने इस पर ध्यान देते हुए बेहतर निगरानी और आवास सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। ये कदम इस क्षेत्र में शेरों की लंबी अवधि की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
निष्कर्ष
भारत में शेरों की बढ़ती संख्या एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इसके साथ ही संतुलित संरक्षण को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
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