चेन्नई: वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अपनी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि 16 दिसंबर 1971 को एक ऐतिहासिक जीत हुई थी जब जनरल नियाजी ने जनरल जगजीत सिंह औरोड़ा के समक्ष 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया था। यह एक निर्णायक जीत थी। उनका कहना था कि इसके विपरीत, हाल ही में सम्पन्न ऑपरेशन सिंदूर की समाप्ति केवल संघर्षविराम के साथ हुई है।
चिदंबरम ने यह टिप्पणी आगामी राजनीतिक और सुरक्षा मामलों के बीच की गई चर्चा के दौरान की। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के परिणाम पर अंतिम निर्णय व्यक्त करना अभी जल्दबाजी होगी। यह वोटर और देशवासियों के लिए महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीति प्रभावित हो सकती है।
इस बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल मची है और विशेषज्ञ भी इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि ऑपरेशन सिंदूर का असली प्रभाव क्या होगा। आने वाले समय में ही इस मिशन की सफलता या असफलता पर पूर्ण रूप से रोशनी डाली जा सकेगी।
मुख्य बिंदु:
- 1971 की युद्ध विजय का संदर्भ देते हुए ऑपरेशन सिंदूर की तुलना की गई।
- अभी ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर निर्णय करना जल्दबाजी होगा।
- इस विषय पर राजनीतिक एवं सुरक्षा विशेषज्ञों में चर्चा जारी है।
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