September 9, 2025

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तुर्की ने भारत के मुकाबले पाकिस्तान का क्यों चुना साथ? जानिए तुर्की की रणनीति, तुर्की

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तुर्की के विदेश संबंधों में近年来 एक स्पष्ट रुख देखा जा सकता है, जिसमें तुर्की ने भारत के मुकाबले पाकिस्तान को अधिक प्राथमिकता दी है। यह रणनीति कई कारकों पर आधारित है जो तुर्की की राजनयिक और भूराजनैतिक हितों को प्रभावित करते हैं।

तुर्की-पाकिस्तान करीबी रिश्तों के प्रमुख कारण

  • आइडेंटिटी और साझा संस्कृति: तुर्की और पाकिस्तान दोनों मुस्लिम बहुल देश हैं, जो इस्लामी एकता और साझा सांस्कृतिक व धार्मिक मूल्यों को महत्व देते हैं। इस साझा पहचान ने दोनों देशों को करीबी रणनीतिक साझेदार बनाने में मदद की है।
  • भूराजनैतिक लक्ष्य: तुर्की अपनी क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाने के लिए दक्षिण एशिया में मजबूत सहयोग चाहता है और पाकिस्तान के साथ गठजोड़ से उसे भारत के समीप इस क्षेत्र में पैठ बनाने का अवसर मिलता है।
  • सैन्य सहयोग: तुर्की और पाकिस्तान के बीच सैन्य और रक्षा सहयोग बढ़ा है। तुर्की ने पाकिस्तान को हथियार प्रणालियाँ और तकनीकी सहायता प्रदान की है, जो दोनों देशों के सामरिक संबंधों को मजबूत करता है।
  • राजनयिक समर्थन: तुर्की पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर अक्सर समर्थन करता है, जबकि भारत के साथ इसकी स्थिति थोड़ी जटिल है। यह राजनयिक दृष्टि से भी दोनों देशों को एक-दूसरे के करीब लाती है।

तुर्की की रणनीति के प्रभाव

  1. दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय राजनीति: तुर्की का पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय संतुलन को प्रभावित करते हैं, खासकर भारत-पाकिस्तान तनाव के संदर्भ में।
  2. भारत-तुर्की संबंधों पर प्रभाव: तुर्की की पाकिस्तान के समर्थन से भारत-तुर्की संबंध वर्षों से तनावपूर्ण बने हुए हैं, जिससे आर्थिक और राजनीतिक सहयोग सीमित हुआ है।
  3. तुर्की की वैश्विक भूमिका: इस रणनीति से तुर्की एक मुस्लिम नेता के रूप में अपनी पहचान मजबूत करता है और उस क्षेत्र में अपनी मुद्रास्फीति बढ़ाता है, जहाँ इसका प्रभाव सीमित था।

निष्कर्ष के तौर पर, तुर्की ने पाकिस्तान का साथ चुनने की अपनी रणनीति को धार्मिक, सांस्कृतिक, और भूराजनैतिक हितों पर आधारित किया है। इससे तुर्की की वैश्विक राजनीतिक स्थिति और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय नीति में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

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