नई दिल्ली में आयोजित एक वेबिनार में पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने भारत में चुनाव सुधारों पर अपनी महत्वपूर्ण राय साझा की। इस वेबिनार का आयोजन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने किया था, जिसमें मुख्य विषय था – “क्या NOTA को और ताकत देने का समय आ गया है?”
अशोक लवासा ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को चुनाव सुधारों के लिए और अधिक सक्रिय एवं प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने बताया कि चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए कई आवश्यक कदम उठाने होंगे, जिनमें NOTA विकल्प को मजबूत करना भी शामिल है। यह कदम मतदाताओं को स्वतंत्रता और सही विकल्प चुनने की शक्ति प्रदान करेगा।
अशोक लवासा की मुख्य बातें
- चुनाव सुधारों के महत्व पर जोर देना ताकि लोकतंत्र मजबूत हो सके।
- चुनाव आयोग पर सुधारों के लिए निरंतर दबाव बनाए रखने की जरूरत।
- वर्तमान सुधारों की गति धीमी है, इसे तेज करना आवश्यक है।
- मतदाताओं को अपनी सही पसंद करने की पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
यह चर्चा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि भारत का चुनावी तंत्र लोकतंत्र की रीढ़ है। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव आयोग को अधिक सशक्त और निर्णायक कदम उठाने होंगे ताकि चुनाव प्रक्रिया और भी अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बन सके।
चुनाव सुधार से जुड़े इस मुद्दे पर निरंतर ध्यान देना और सक्रिय कदम उठाना लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में अहम होगा।
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