नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना (IAF) अपने पुराने MiG-21 विमानों को चरणबद्ध तरीके से रिटायर कर रही है। इसके बाद IAF के लड़ाकू स्क्वाड्रन की संख्या पाकिस्तान के वायुसेना के लगभग बराबर रह जाएगी। यह स्थिति सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक मानी जा रही है।
MiG-21 विमानों का फेज आउट होना आधुनिक विमानों की तरफ एक कदम है, लेकिन इसके कारण भारतीय वायु सेना की कुल लड़ाकू स्क्वाड्रन की संख्या काफी कम हो रही है। वहीं, पाकिस्तान वायुसेना अपनी ताकत बढ़ा रही है। अगर यह स्थिति बनी रही तो भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाकू विमानों की संख्या में समानता बन सकती है, जो कि रणनीतिक तौर पर भारत के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को नीचे दिए गए कार्यों पर ज़ोर देना होगा:
- नए विमानों की तुरंत खरीदारी
- वायु सेना के तेजी से आधुनिकीकरण
ताकि ये कमी पूरी हो सके और वायु रक्षा में कोई कमी न रहे।
भारतीय वायु सेना तेजी से अपने बेड़े को आधुनिक बनाने की कोशिश में है, लेकिन वर्तमान परिस्थिति में यह चुनौती बनी हुई है। भारत की रक्षा सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि लड़ाकू विमान संख्या में पाकिस्तान से आगे रहे।
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