नई दिल्ली में रक्षा क्षेत्र में हो रहे महत्वपूर्ण बदलावों के कारण भारत अपनी पारंपरिक रक्षा आपूर्तिकर्ता रूस पर निर्भरता कम कर रहा है। इस बदलाव में कुछ प्रमुख कारण मुख्य भूमिका निभा रहे हैं, जिनमें गुणवत्ता संबंधी चिंताएं, डिलीवरी में देरी, और यूक्रेन युद्ध के कारण रूस की सैन्य क्षमता पर असर शामिल हैं।
भारत-रूस रक्षा संबंधों में बदलाव
भारत ने अपनी रक्षा आयात नीतियों में बदलाव करते हुए रूस के स्थान पर पश्चिमी देशों की ओर झुकाव बढ़ा दिया है। इसके अंतर्गत अमेरिका और फ्रांस के साथ महत्वपूर्ण रक्षा समझौते और साझेदारी की गई है। इस रणनीतिक बदलाव के कई पहलू हैं:
- अमेरिका और फ्रांस के साथ अरबों डॉलर के बड़े रक्षा समझौते
- उन्नत तकनीक के विकास और साझेदारी
- पश्चिमी रक्षा कंपनियों के लिए भारत में नए अवसर
रूस की भूमिका अभी भी बनी हुई है
हालांकि भारत पश्चिमी देशों की ओर बढ़ रहा है, लेकिन रूस अभी भी कुछ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
- स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति
- परमाणु क्षमता में सहयोग
परिणाम और महत्व
यह बदलाव भारत के सैन्य आधुनिकीकरण में एक बड़ा कदम है और इससे कई प्रकार के लाभ होंगे:
- सैन्य उपकरणों की गुणवत्ता में सुधार
- भरोसेमंद और विविध आपूर्तिकर्ताओं का विकास
- भारत को एक महत्वपूर्ण रक्षा बाजार के रूप में स्थापित करना
संक्षेप में, यह नया रुख न केवल भारत की सुरक्षा जरूरतों को आधुनिक बनाएगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय रक्षा उद्योग में भी भारत की भूमिका को मजबूत करेगा। देश अब सामरिक और तकनीकी सुरक्षा के लिए बेहतर विकल्प अपनाकर अपनी रक्षा क्षमता को सुदृढ़ कर रहा है।
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