नई दिल्ली में भारत सरकार ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी के नामकरण की प्रक्रिया को एक पुरानी और पवित्र परंपरा बताते हुए स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया को केवल दलाई लामा स्वयं ही निभा सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा दी गई इस बात में यह स्पष्ट किया गया है कि:
- तीसरी पार्टी की कोई भूमिका नहीं है इस धार्मिक प्रक्रिया में।
- यह परंपरा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- उत्तराधिकारी चयन दलाई लामा की मर्यादा और इच्छा के अनुरूप ही होता है।
भारत की यह स्थिति तिब्बती समुदाय के सांस्कृतिक अधिकारों और पहचान को संरक्षित करने का प्रयास है। इसे क्षेत्रीय और धार्मिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- भारत तिब्बती धार्मिक मामलों में किसी बाहरी हस्तक्षेप का विरोध करता है।
- यह मुद्दा भारत-तिब्बत संबंधों में संवेदनशील है और इसे सौहार्दपूर्ण तरीके से संभालने की कोशिश की जा रही है।
- भारत सरकार का यह रवैया तिब्बती समुदाय में धार्मिक स्वतंत्रता और स्थिरता को बढ़ावा देता है।
इस घोषणा से तिब्बती समुदाय में भी यह स्पष्टता आई है कि दलाई लामा ही अपने उत्तराधिकारी का चयन करेंगे, जो उनकी धार्मिक स्वतंत्रता को बनाए रखने में सहायक होगा।
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